Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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[ ग्रन्थ सूत्री-पंचम भाग
१६१५. गुटका सं० १७ । पत्र सं० ३२ । प्रा० ७३४ ६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १३१
विशेष- मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है१. भक्तिमाल पद
बलदेव पादली
हिन्दी चौबीस तीर्थकरों का स्तवन है। २. पद
पदों की संकपा है।
६९१६. गटका सं० १८ । पत्र सं० ६६ । प्रा०५४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी। लेकाल सं. १८२३ द्वितीय चैत बुदी १३ । पूर्ण । वेष्टन सं० १३० ।
विशेष-तत्वार्यसूत्र की चतुर्थ अध्याय सक हिन्दी टीका है।
६६१७. गटका सं० १६ । पत्र सं० १२७ । आ६३४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले. काल ४ । अपूर्ण । वेष्टन सं० १२६ ।
विशेष पूजा एवं स्तोत्र तथा मामान्य पार्टी का संग्रह है। बीच के तथा प्रारम्भ के कुछ पत्र नहीं है।
१९१८. गुटका सं० २० । पत्रसं० ३७४ । प्रा० ६४३३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । लेकाल ४ । पूर्ण । बेधन सं० १९८ ।
विशेष--निम्न पाठों का संग्रह है। तत्वार्थ सूघ के प्रथम सूत्र की टीका कमक्रकीति हिन्दी सामायिक पाठ टीका
स्वदासुखजी , १६. गुट का सं० २१ । पत्र सं० ३६ । श्रा० ३४७ इञ्च । भाषा हिन्दी । ले० काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० १२७ ।
विशेष-स्बानी हरिदास के पदों का संग्रह है। पत्र २३ तक हरिदास के १२६ पदों का संग्रह है। २३ पत्र से २६ दें पत्र सक विठ्ठलदास के ३८ पदों का संग्रह है । २६ पत्र से ३६ पत्र तक बिहारीदास का पद रहस्य लिखा हृमा है।
१६२०. गुटका सं० २२ । पत्र सं० ११४ । मा० ३४६ च । भाषा-संस्कृत-प्राकृत-हिन्दी। ले. काल x 1 पूर्ण । वेष्टन सं० १२६ ।
विशेष-मुख्यत: निम्न पाठों का संग्रह है। ग्रंथ ग्रंथकार
भाषा
विशेष पहा प्रतिक्रमण
प्राकृत पद
महमद
१-४
प्रारम्भ
भूत्यो मन' शमरारे काइ मर्म विवसनि राति । मायानी यांच्या प्रापीयौ भमं प्रमलजाय ॥१।।