Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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गुटका संग्रह ]
चेतसि
जिनि
विवेक वितरण आत्मविष्यावर
शीलबावनी
कृष्ण बलिभद्र विभाय
बीतनran
सुन्दरदास कहै
भइया मनुष जु
प्रस्न चरित
5
इनके अतिरिक्त अन्य पाठों
६५६४. गुटका सं० १५ पूर्ण वेष्टन सं० १६० ।
कर्म विपाक हनुमत कथा जम्बूस्वामी कपा
श्रीपान पस
कैसो
त
उहका वै राम
विशेष – मुख्यतः निम्न रचनाओं का संग्रह हैं— कवि सुधारू
विशेष – ९८५ पथ हैं । प्रारम्भ के ६ पत्र नहीं है । बनारसीदास
पूर्ण । चेष्टन सं० ३९३ ।
भाई
तुम्हाई
जु पुकारी
बूझ तुम्हारी || ५६||
भाषा भूषण
अलंकार सबैवा
सुन्दरदास
मोहनदास
मालकवि
विजयदेव सूरि
का संग्रह भी है ।
ALB
० रायमल्ल
पांडे जिनदास
ब्र० रायमल्ल
हिन्दी
विशेष – सामान्य पाठों का संग्रह है ।
27
। पत्रसं० ३०९ | आ० ६ X ५ इश्व 1 भाषा - हिन्दी । ले० काल x |
६५६७. गुटका सं० १८० १२०० २४७
३
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37
तू वस्त्राजी
हिन्दी
27
६५६५. गुटका सं० १६० १७६० ६५३ इञ्च भाषा - हिन्दी संस्कृत । | ० काल x पूर्ण वेष्टन सं० ३११ ।
विशेष – पूजा पाठ संग्रह है ।
21
६५६६. गुटका सं० १७ । पत्र सं० ७४ ॥ श्र० ७३४४३ च भाषा-संस्कृत | लेकाल X | पूर्ण वेष्टन सं० ३६२ ।
विशेष – सामान्य पाठों का संग्रह है ।
37
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[ १०१५
६५. गुटका सं० १६ । प० १०१ ० ६७ भाषा - हिन्दी से० काल सं० १८२८ | पूर्ण । वेष्टन सं० ३६४ ।
विशेष निम्न रचनाओं का संग्रह है-
टीका
नारायणदास
अपूर्ण
माया-हिन्दी ले०काल X ।
।
हिन्दी
(२० काल सं० १००७)
(नरवर में लिखा गया)