Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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१००६ ]
वैच मनोत्सव पूजा एवं स्वोष
तत्वार्थ सूत्र आयुर्वेद के मुस्से
६५२८. गुटका सं० ११ काल X पूर्ण वेष्टन सं० १०४ । गुटके में ३० पाठों का
विशेष
१५२७. गुटका सं० १० पत्र सं० ६५ ० ५X४ इच भाषा-संस्कृत ० काल पूर्ण वेन सं०] १८३ विशेष - सामान्य पाठों का
संग्रह है। तस्वार्थ सूत्र, भक्तामर स्तोत्र प्रादि भी दिये हुए हैं । पत्र सं० १४२ ० ६४४ ६ भाषा हिन्दी संस्कृत ०
तयनमुख
है जिनमें स्तोष पूजाए तत्वार्थसून यादि सभी संग्रहीत हैं। ५२९. गुटका सं० १२ पत्र सं० २४-७२ मा० १२४४ इन्च भाषा संस्कृत हिन्दी ०काल X अपूर्ण वेष्टन सं० १०५ ।
विशेष - पाशा केवली एवं प्रस्ताविक श्लोक आदि का संग्रह है ।
पंच स्तोत्र
तत्वार्थ सूत्र इष्टोपदेव भाषा
सहस्रनाम
बालाप पद्धति अक्षर बावनी
उमाम्यामि
५३०. गुटका सं० १३० ६-१२ ११ से १०० प्रा० ६५ ६४ भाषा हिन्दी | ले० काल X 1 धपू । बेन सं० १०६ । विशेषायुर्वेदस्यों का संग्रह है।
६५३१. गुटका ० १४ । पत्र सं० २ ६० ग्रा० ६५ इव । भाषा संस्कृत । ले० काल X पूर्ण वेष्टन सं० १५७ ।
विशेष - पत्रसं० २-३० तक पंचपरमेष्ठी पूजा तथा आयुर्वेदिक नुस्खे दिये हुए हैं ।
प्रारम्भ
बावन अक्षर लोक यो सब कुछ और धरेंगे चरा थिए सो अक्षर
६५३२. गुटका सं० १५ । पत्र सं० १६१ । आ० ६४६ इंच | भाषा संस्कृत - हिन्दी | ० काल X पूर्णा । न ० १०८ ।
विशेष वम पाठों का संग्रह है
-
परभावती का आदि भाग निम्न प्रकार है
AMBAD
इनमें
[ प्रन्थ सूची- पंचम भाग
हिन्दी
संस्कृत हिन्दी
उमास्वामि
नही
संस्कृत
हिम्दी
जिनसेनाचार्य
देवसेन
कबीरदास
मांहि ।
नाहि ॥१॥
संस्कृत
"
हिन्दी
संस्कृत
संस्कृत
हिन्दी