Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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नीति एवं सुभाषित ]
[ ६६३
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६६१६. राजनीति समुच्चय-चारणवथ प०६० १०१x४३६ भाषासंस्कृत विषय नीति र०काल X वे० काल X पूर्ण वेष्टन सं० २६१ प्राप्ति स्थानम० वि० जैन मंदिर यजमेर भण्डार ।
६६१७. प्रतिसं० २००काल X पूर्ण येन सं० २०० प्राप्ति स्थान- भ० दि० जैन मन्दिर मजमेर भण्डार ।
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६६१८. राजनीति सबैधा देवीदास पत्रसं०] १०० राजनीति | ए०काल XI काल सं० १८३२ वेष्टन जैन तेरहची मन्दिर बराया।
आदि ग्रन्त भाग निम्न प्रकार हैं
प्रारम्भ
श्रतिम
X
नीतिही धर्म धर्म सकल सीचि
नीति आदर सभाति वीषि पायो । नीति तं प्रनीति छ नीतिही सुख लूट
नीतिहीत कोश फल बकता कहाइयो । नीति ही राज राजे नीति होते पाया ही
नीति होल नोजखंड माहि जल गाइयो । छोटन को बड़ो करें बड़े महा वडे घर' ताराबही को राजनीति ही सुहाइयो ।
X
जब जब गाइ परी दासन को
देवीदास जब तब ही श्राप हरि जून कोनी है। जैसे कष्ट नरहरि देव तु दर्शनान
ऐसो कौन अवतार दयारत भीनी है। माहानि पेट स्वरूप घर पर ठौर
सोती है उचित ऐसी ओर को प्रवीन है। प्रहलाद देतु जानि ता घर के बा
आपु पावर के पेट मैं ते अवतार तीनो है ।। १२२ ।।
इति देवीदास कृत राजनीति सर्वया संपूर्ण ।
भाषा - हिन्दी (पद्य) | विषय - ० ६४ प्राप्ति स्थान दि०
६६१९. राजनीति शतक - X पत्र विषय - सुभाषित २० काल ले० काल
पूर्ण
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मन्दिर लश्कर, जयपुर |
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०५
० ११४५ इन्च भाषा संस्कृत वेष्टन सं० २०६ प्राप्ति स्थान दि०जैन
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६६२०. लघुचाणक्य नीति ( राजनीति शास्त्र ) - चाराश्व । पत्र सं० ११ पा० । ११५ । भाषा संस्कृत विषय राजनीति । २० काल X ० काल X पूर्णं वे० सं० १४३ प्राप्ति स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ मंदिर चौगान बूंदी।
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