Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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स्तोत्र साहित्य ]
६६४०. चौयोस महाराज की बीनती विषय-विनती २० का X ले० काल X
पंचायती मन्दिर भरतपुर ।
करवाई थी ।
विशेष कठिन छन्दों का अर्थ दिया हुआ है। प्रति प्राचीन है इसके अतिरिक्त निम्न पौर है१- जिनेन्द्रपुरा दीक्षित देवदत भाषा संस्कृत १० फोल X से काल १८४० पूर्ण विशेष ब्रह्मचारी करुणा सागर ने कायर रामप्रसाद श्रीवास्तव घटेर वालों से प्रतिलिपि
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[ ७२५
हरिचन्द्र संधी पत्र सं० २५ । । भाषा - हिन्दी | वेष्टन सं० २०१ प्राप्ति स्थान दि०
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पूजा फल X।
सुदर्शन परिधी भट्टारक जिनेन्द्रभूषण ।
विशेष-श्री गौरीपुर वटेश्वर से तरकरी देहरे में श्री पं० केसरीसिंह के लिए श्रुतज्ञानावरणी कर्मार्थ बनाई थी ।
पपूर्ण
६६४९. चौसठ योगिनी स्तोत्र - XI पत्रसं० २ । या० १०३४४३
भाषा-संस्कृत | विषय - स्तोत्र | २० काल । ले० काल सं० १८७२ कार्तिक सुदी ११ वेष्टन ०४३८ प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर लश्कर, जयपुर । विशेष- लिपिकार पं०
राम
६६४२. चौसठ योगिनी स्तोत्र -- x । वजसं० २ श्र० ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय - स्तोत्र १० काल X ले० काल X पूर्ण वेष्टन सं० १०३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ चौगान बूंदी |
विशेष- ऋषि मंडल स्तोत्र भी है ।
० २३९६८
६६४३. चन्द्रप्रन छंद--प्र० नेमचन्द एस० ४६ भाषा - हिन्दी । विषय - स्तवन । २० काल सं० १८५० । ले० काल x । पुणं । वेष्टन सं०७१/४२ । प्राप्ति स्थान - दि० वंग मन्दिर कोटडियों का डूगरपुर ।
इति श्री जय प्रकरणं संपूर्ण ।
६६४४. छंद देतरी पारसनाथ लखमी वल्लभ गरिए । पत्रसं० ६ भाषा - हिन्दी । विषय स्तोत्र १० काल X नेहाल X अपूर्ण वेटन सं० ७१४ प्राप्ति स्थान – दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर ।
६९४५. जयतियण प्रकरण- प्रभवदेव पत्र [सं० ३ । ग्रा० १०x४ इख भाषाप्राकृत विषय स्वन २० काल ले० काल X अपूर्ण बेटन सं० ४५३ / २६५ प्राप्ति स्थान। । । 1 दि०जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर ।
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अन्तिम-
एवम दारियजलदेव ईम म्हवण भट्टसव प्ररण लिय । गुण तुम्ह अगीकरिय वृद्धि || एम पी पासवाह शंभरापुर विइ | मुस्विर श्री अभयदेव बिन सादिय ||