Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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तयच्च तिलक समान सद्गुरु विजयसेन सूरि तगू नागरसुत विभो इम बोले पाप थालोव आपण ॥७५॥
इति की बास द्वारा को रतन संपूर्ण ७०७३ मतामर स्तोत्र संस्कृत विषय स्तोष १० का दि० जैन मन्दिर अजमेर |
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७०७४ प्रति सं० २ पत्र ०६०४४० X पूर्ण वेष्टन सं १४४४ प्राप्ति स्थान४० दि० जैन मन्दिर अजमेर |
मानतुरंगाचार्य पत्र [सं० ६ X मे० काल अपूर्ण
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[ प्रत्थ-सूची - पंचम शय
विशेष हिम्पी व्वा टीका सहित है। प्रति प्राचीन है।
७०७५. प्रतिसं० ३ ।
[सं०] १०६५ प्राप्ति स्थान- भ० ० जैन मन्दिर अजमेर ।
० ११ x ५ भाषान सं० १०६ प्राप्ति स्थान प्र०
पत्र स० १५ 1 ० १०४ इन्च से०कॉल X पूर्ण वेष्टन | ।
।
विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित है।
७०७६. प्रतिसं० ४ । पत्रसं० ६ श्र० १० x ५ इव । ले० काल सं० १८७० माह सुदी १३ । पूर्ण न ० ३५२ प्राप्तिस्थान दि०जैन मन्दिर लश्कर जयपुर । विदेशी है
७०७७ प्रतिसं० ५
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० १ ० ११३५० सं० २०१७ | पूर्ण बेन० २५३ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर कर जयपुर। प्रति दिला सहित है। पं० तिलोकचन्द ने प्रतिलिपि की थी। प्रतिसं० ६ ० २७०६४
विशेष ७.७८
का सं०] १०१२ पोष सुदी
ख़ुदी ५ टन १० ८१ प्राप्ति स्थान दि०जैन मंदिर लश्कर जयपुर विशेष—अनि उटीक है १० लालचन्द ने अपने लिये
थी।
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७०७६. प्रति सं० ७ । पत्रसं० ८ ० ८ X
सं० ६५२ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर लश्कर जयपुर ।
विशेष
प्रतियां और है ।
७०८० प्रतिसं० ८ पत्र [सं० ८ या० ६३ x ५३ ले काल x पूर्ण वेष्टन सं० १०० प्राप्ति स्थान दि० जंन छोटा मन्दिर बयाना
विशेष दो प्रतियां और है।
इख । ले० काल x 1 पूर्ण
७०८२ प्रति सं० १०
वेष्टन ० १६७ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर राजमहल (टोंक)
७०८१. प्रतिसं० १ पक्ष सं० पा० ६ ० का X पूर्ण प्रेम सं १०२४७ प्राप्ति स्थान दि० जैन पार्श्वनाथ मन्दिर इन्दरगड (कोटा)
सं०] ६ बा० ११४५ ० का ० १९६५ पूर्ण
७०८३. प्रतिसं० ११ । पत्र० ८ श्र० १० ३४४ दश । ले० काल सं० १७२० मंगसिर बुदी १। पूर्ण । वैन सं० १६ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर बोरसली कोटा ।
विशेष – मानावे रामचन्द तत् शिष्य श्री राभवदास के पठनार्थं गोपाचल में प्रतिलिपि हुई थी। ७०८४ प्रतिसं० १२ | पत्र सं० २३ । प्रा० १२४६ इव । काल X पूर्ण । वैन सं ३२५ प्राप्ति स्थान दि०जैन मंदिर बोरमसी कोटा।