Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
View full book text
________________
९६० ]
[ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग
विशेष -निम्न प्रकार संग्रह है :
पंचसचि (प्रक्रिया कौमुदी) समयसुन्दर के पद एवं दानशीलतमभावना नेमिनाथ बारहमासा, शानपच्चीसी (बनारसीदास) शमाछतीसी (समयसुन्दर) एवं विभिन्न कवियों के पदों का संग्रह है गुटक्का संग्रह की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
२३४. गुट का सं०६७। पत्र सं० ३१२ । प्रा० ६३४५ इन्च । भाषा-हिन्दी - संस्कृत । ले०काल सं० १७०२ मा चुदी १ । पूर्ण । बेष्टन सं० ७६० ।
विशेष-जोबनेर में प्रतिलिपि की गई थी । निम्न रचनाओं का संग्रह है।
पंचस्तोत्र, तत्वार्थ सूत्र, गुणस्थानचर्चा जोगीरासा, बड़ा कल्याणक, पाराधनासार, चूनड़ीरास (विनयचन्द्र), चौबीसठाण, कमप्रकृति (नेमिघद्र एवंमसामों को संत है।
६२३५. गुटका सं०६८ । पत्र सं० २२६ । पा. ८४४३ इन्ध । भाषा-हिन्दी । र० काल x ले०कास पूर्ण : वेग सं० ७९२ ।
विशेष- रायमल्ल की हनुमंत कथा है ।
६२३६. गुटका सं०६६। पत्र सं० १८०। प्रा० ६४५ इञ्च । माषा-संस्कृत-हिन्दी। से काल स० १६४२ फाल्गुण सुदी १ पूर्ण । वेष्टन सं०७६३ । विशेष—निम्न पाठों का संग्रह हैप्रतिक्रमण
पत्र सं० १-८१ गुर्दावली
पत्र सं. ८२-८५ प्राराधनासार
मेषकुमारगीत (पूलो) इत्यादि पाठों का संग्रह है।
६२३७. गुटका सं० १००। पत्र सं० १८५। मा० x ५६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले०काल सं० १५७६ माघ सुदी १५ । पूर्ण घेष्टन सं०७६४।
विशेष-भयरोठा ग्राम में लिखा गया था । निम्न पाठों का संग्रह हैस्थूलभद्र फागु प्रबन्ध
प्राकृत २७ गाथा उपदेश रत्नमाला द्वादशानुप्रेक्षा परमात्मप्रकाश
योगीन्दु अपभ्रश ३४२ पद्य
(ले० काल सं० १५६१ आषाड बुदी १) प्रायश्चितविधि
संस्कृत दशलक्षण पूजा
अपभ्रश सुभाषित
सकलकीति संस्कृत ३९० पद्य द्वादणानुप्रेक्षा
जिनदास हिन्दी ६२३८. गुटका सं० १०१। पत्रसं० ३१६ । प्रा० १२४ ४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । ले०काल x पूर्ण । वेवन सं० ७६५ ।
विशेष-सामान्य पूजा पाठ एव स्तोत्रों के अतिरिक्त निम्न महत्वपूर्ण सामग्री और है