Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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६५५२. देशना शतक - X विषय-कुमारिका x ० का जैन वाल मंदिर उदयपुर ।
विशेष प्रशस्ति निम्न प्रकार हैश्रीमच्छे उपाध्याय श्री
लालचन्द मित्रतं । सं० १७६१ वा सुदी २ सोम श्री उदयपुरेद्र भूयात् । ०४ हिन्दी X | पत्र वेन सं० ७० प्राप्ति स्थान विद्या भपण समुद्र जल भयो भोकारा | उत्तर पथ मे देवगत पार नहीं पृथ्वीराज २६।। कीयु कीजे साजना भीउन भाजे ज्यांह |
६५५३. दोहा शतक - काल X। पूर्ण
जाकंठ पयोहरा दूध न पाणी त्यांइ ॥ ५॥ किहां कोयल किहो व वन फि ददुर किहां मेह बिसारिया न फिरे गिखां तस्गा सनेह ॥ ६१ ॥ करण काठी तु भादवे मोती मामो जरित । तृण बहुउद्देशीका विडीया निरत ॥७१॥
विषय - सुभाषित | र०काल x मंदिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी
| पत्र सं० ० १७६१
। ले० काल
६५५५. धर्मामृत सूक्ति संग्रह -X fare सुभाषित | र०काल X ते कास X पंचायती मन्दिर करौली ।
६५५४. दृष्टान्त शतक कुमुमदेव पत्र ० ६ ० १० X ४३ इव भाषा–संस्कृत
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पूर्ण वेष्टन सं० १२८ प्राप्ति स्थान दि० जैन
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I
संस्कृत विषय नीति जैन वाल मंदिर उदयपुर
१८ | आ० १० X ४३ पूर्ण वेष्टन सं० १२३
शिव्य वा. भी सं (सो) भागी तत् शिष्य
६५५६- नवरत्न वाक्य - X पत्र सं० १ ० १ सुभाषित ५० काम X ले० का X पूरा वेष्टन सं० २३५ दलाना बूंदी)
विशेष – विक्रमादित्य के नवरत्नों के वाक्य हैं।
[ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग
इव । भाषा – प्राकृत । प्राप्ति स्थान दि०
(य) त्रिषण
का दि० जैन तेरहपंथी मन्दिर बसवा |
६५५७. नसीहत बोलपत्रसं० ५० १२३ सुभाषित १० काल X ने काल X पूर्ण मन्दिर अजमेर
वेष्टन सं० १३५६
पत्र० ७ ० १०८४३ भाषा-संस्कृत पूर्वं वेष्टन ० ५९ प्राप्ति स्थान दि० जन
वामृतप्रा० सोमदेव १०का ४ ० काल X
६५५८. नीति मंगरी- XI पत्र० ६ ० १२ २३ सुभाषित । २० काल X। ले० काल x । पूई । वेष्टनसं० ६६९ | प्राप्ति लश्कर, जयपुर 1
६५५६. नीति
४३ इव भाषा संस्कृत विषयप्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर
५३ इस भाषा हिन्दी विषयप्राप्ति स्थान- भ० वि० जैन
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पत्र [सं० २० प्रा० पूर्ण बेटन सं० १४७
भाषा हिन्दी प० विषयस्थान - दि० जैन मंदिर
१२४४ ६ भाषाप्राप्ति स्थान दि०