Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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विलास एवं संग्रह कृतियां ]
विशेष-त्रिभुवन गुरु स्वामी बी धीनती, भक्तामर स्त्रोत्र भाषा, कल्याण मन्दिर स्तोत्र भाषा. पंच मंगल प्रादि पाठ है।
६३६५. पाठ संग्रह-X । पत्र सं०५८-११३ । पा० १२१४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । ले. काल X । अपूर्ण । वेष्टन सं० २६४ १ प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर दीवानजी कामा ।
६३९६, पाठ संगह---XI पत्र सं० २३६ । ले० काल x | अपूर्ण । वेष्टन सं० २८ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर बैर।
विशेष--निम्न पाठों का संग्रह हैआदिपुराण जिनसेनाचार्य संस्कृत
पत्र १८४ अपूर्ण । उत्तरपुराण
गुणभद्राचार्य पट पाहृड कुन्दकुन्दाचार्य
प्रावृत कर्मकाण्ड
ने मिचन्ट्राचार्य कलिकुण्डपुजा चौबीस महाराज पूजा ..
हिन्दी ६३६७. पाठ संग्रहः-x1 पत्रसं० १५ । प्रा० १२:४६५ इन्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी। लेकाल: । पूर्ण । वेष्टन सं०१८६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)
विशेष-तत्यार्थ सुत्र, भक्तामर स्तोत्र एवं गोम्मट स्वामी पूजा हिन्दी) आदि हैं।
६३६८. पाठ संग्रह ..-X । पत्रसं० २१ । ग्रा०५१०x४१ इञ्च । भाषा-संस्कृर-हिन्दी। ले० कालX । पूर्ण । वेष्टन सं०६६१। प्राप्ति स्थान--दिल जन मन्दिर भादवा (राज.)
विशेष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है। १. भक्तामर स्तोत्र २-कल्याण मन्दिर स्तोत्र -दानशील तय भावना कुलक (प्राकृत) हिन्दी में अर्थ दिया हुआ है।
६३६६. पाठ संग्रह -XI पत्रसं०११० प्रा०८४६ इञ्च । लेकालX1 पूर्ण । वेष्टन सं. ५५/६७। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर मादत्रा (राज)
विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है। १- नरक वर्णन पत्र ५ २- समवशरण वर्णन १३ १- स्वगं वर्णन ४-- गुणस्थानवर्णन ५.- नौसठ ऋद्धि नर्णन १७ ६- मोक्ष मुख वन १६ ७- द्वादश श्रुत वर्णन १७ ८- अकृत्रिम चैत्यालय वर्णन
६४००. पाठ संग्रह-४ । पत्रसं० १६० । पा० ६४५ च । भापा-हिन्दी।से काल पूर्ण । वेष्टन सं० १६० । प्राप्ति स्थान—दि जैन मंदिर मागदी दी।
विशेष-भिभिन्न पाठों का संग्रह है।