Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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६३८ ]
[ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग
६१८३. प्रतिसं० ३ । पत्रसं० ६ । आ० १० ४ ४ इश्व । ले० काल x पूरा | श्रेष्टन सं० ३२२/१२२ । प्राप्ति स्थान दि०जैन संभवनाथ मन्दिर उदयपुर ।
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६१८४. प्रति सं० ४ । पत्र संख्या ६ ले० काल X। पूर्ण वेष्टन सं० ३२३ / १२३ । प्राप्ति स्थान- दि० न संभवनाथ मन्दिर उदयपुर
विशेष पहिले पत्र के ऊपर की ओर 'नागद्रा राम्रा जाति का रासभूषका हिन् दिया है। यह ऐतिहासिक रचना है पर अपूर्ण है। केवल अन्तिम २२ वा पद है।
अन्तिम
श्री ज्ञान भूषण मुनिवरि प्रमुनियां की रास में सारए हमुच जिवर कहीय वशि श्रीव माहि रास रत्रु प्रति रूवडू हवि भरि मसिसी भगावेने सांभले ते लहिसीह इति नागद्वारा सम्पूर्ण ।
६१८५. पाणीगालन रास-ज्ञानभूषा पत्र [सं० ४ हिन्दी (प) विषय विधान १० काल X ले० काम X दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर ।
पूर्ण
६१८७. प्रयुम्नरासो- ब्रह्मरायमल्ल विषय-कथा २० काच स ० १६२८ । ०काल X दि० जैन मंदिर बड़ा बीस पंथी दोसा |
जो नर नारे । फल विचार
।
६१८६. पोषहरास ज्ञानभूषण पत्र सं० २०६० १०५४ इञ्च । भाषा - हिन्दी | विषय-कथा | २० काल X से कास X अपूर्ण | | संभवनाथ मन्दिर उदयपुर ।
३० सं० २७३ प्राप्ति स्थान- दि० जैन
विशेष गढ़ हरसौर में ग्रन्थ रचना हुई थी । ६१८८. बुद्धिरास - X [पत्रसं० १ विविध २० काल x । काल X पूपं दबलाना (बुदी ) |
विशेष – इसमें ५६ प हैं
० १० X ४ वेष्टन सं० ३५७
। ।
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पत्रसं० २० पा० ११४६ इन्च पूर्ण बेटन सं० ४४ X
० ६x४३ इञ्च बेष्टन सं० २६४
पतिम पथ निम्न प्रकार है
सालिभद्र गुरु संकल्प हुए ए सवि सीस विधान ॥
पाव से सिय संपवाए तिस परि नवय विधान ॥ ५६।।
भाषाप्राप्ति स्थान
प्राप्ति
भाषा - हिन्दी (पद्म) विषय स्थान – ० जैन मन्दिर
भाषा - हिन्दी । प्राप्ति स्थान
दांत बुद्धिरास संपूर्ण
६१८. बाहुबलिवेलि वीरचन्द सूरि प० १०० ११४ ४३ इ भाषा --- हिंदी (पद्य) विषय-कधा । र०काल X ले०काल सं० १७४४ । पूर्ण वेष्टन सं० १७ प्राप्ति स्थानदि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर ।
६१६०. बंकरास - ब्र० जिनदास पत्र [सं० ६ | था० ११४५ इव । भाषा - हिन्दी (पवित्रा र०काल x | से० काल x पूर्ण वेष्टन सं० १२७ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर ।