Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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३६२४. प्रथम्न चरित्र - X पत्र सं० ३३५ र०का X ले० काल X पूर्ण पेम सं० १७०
भरतपुर ।
३६२५. प्रद्यम चरित्र टोका X | पत्रसं० ७५ । आ० १४ X ७ इश्व (गद्य) विषय – चरित्र । २० काल X | ले०का X व वेटन सं०] ११५ दि० जैन मन्दिर श्री महावीर बूंदी |
[ ग्रन्थ सूची- पंचम भाग
भाषा हिन्दी विषय जीवन परिष । प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर
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३६२६. प्रद्युम्न चरित्र रत्नचंद्र गरि । ले० काल सं० १८३४
पत्रसं० १०५ | प्रा० १०४५ इन्च पूर्ण वेष्टन सं० १२७-२२
विषय- चरित्र । र०काल दिन जैन मन्दिर नेमिनाथ टोडारायसिंह (टोंक) ।
भाषा - हिन्दी प्राप्ति स्थान
३६२७. प्रद्युम्न चरित्र वृत्ति देवसूरि । पत्र सं० २ से १०४ । भाषण संस्कृत । विषयधरिव २० कास X ले०काल X। पूर्ण वेत सं० ६११ प्राप्ति स्थान दि० जैन पंचायती मन्दिर भरतपुर ।
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भाषा संस्कृत प्राप्ति स्थान
३६२८. प्रद्युम्न चरित
भाषा हिन्दी इस । विषय – चरित्र । र०काल सं० १४११ । ले० काल x । पू । वेष्टन सं० १९८ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर दीवानजी कामा ।
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विशेष- वि० जैन अतिशय क्षेत्र की महावीरजी द्वारा जनवरी ६० में प्रकाशित। इसके संपादक स्व० पं० चैनसुखदास जी न्यायतीर्थ एवं डा० कस्तूरचन्द कासलीवाल एम. ए. पी. एच डी हैं।
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३६२६. प्रतिसं० २ । पत्रस० ४० १० अपूर्ण न सं० ७७ प्राप्ति स्थान
० १२६३६ । ले० काल सं० १८८१ वैशाख चुदी पंचायती दिजैन मन्दिर कामा ।
विशेष -- खोज एव अन्य प्रतियों के आधार पर सही र०काल सं० १४११ भादवा सुदी ५ माना गया है जबकि इस प्रति में २०काल सं० ११११ भादवा सुदी प्रति जीर्ण है ।
दिया है। बीच के कुछ पत्र नहीं हैं तथा
३६३०. प्रद्युम्नचरित्र - मन्नालाल । पत्र सं० २५६ श्र० १३४७ (गद्य) | विषय - चरित्र । २० काल सं० १९१६ ज्येष्ठ ख़ुदी ५ । ले० काल X। पूर्ण प्राप्ति स्थान- दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर ।
३६३१. प्रद्य ुम्न चरित्र भाषा - ज्वालाप्रसाद बख्तावर सिंह ८ इंच भाषा हिन्दी (गद्य) विषय-परि २० काल सं० १९१४ सं० ३० । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मंदिर चौधरियान मालपुरा (टोंक)
। भाषा - हिन्दी वैन सं०४७६ ।
पत्रसं० २११ | या० ११३X ले०काल X पूर्ण वेष्टन
विशेष – प्रथ की भाषा प्रथम तो ज्याला प्रसाद ने की लेकिन सं० १९९१ में उनका देहान्त होने से चन्दनलाल के पुत्र बख्तावरसिंह ने १६१४ में इसे पूर्ण किया ।
मूलपच सोमकीर्ति का है।
३६३२. प्रति सं० २ । पत्रसं० ३०३ | ग्रा० १२X४ इञ्च । ले० काल स० १६६१ पूर्ण वेष्टन सं० २७ । प्राप्ति स्थान अग्रवाल दि० जैन मन्दिर, नैरावा ।
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३६३३. प्रतिसं० ३ । पत्र सं० २११ ० १२८ ले० काल X पूर्ण वेष्टनसं० १४७ / १२७ प्राप्ति स्थानवास दि० जैन पंचायती मन्दिर धलवर ।