Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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काव्य एवं चरित ]
विशेष-थ प्रशस्ति निम्न प्रकार है
जाति बुढेलेवंस पटु, मैनपुरी सुखवास । नागएधार कहावले, कासियो तमु तास ।। नंदराम इक साहु तह, पुरवासिन सिर मौर । है हरचंद सुदास तह, बैद्य क्रियाघर और । तिनही के सुत दोय हैं, भाष तिनके नाम । क्षितपति दूजो कंजहग, धरै भाव उर साम । लघु सुत कीनी जह कथा भाषा करि चित ल्याय । मङ्गल करौ भवीन को, हूजे सब सुखदाय । एन समै घरतं चलिक दरवास कियो तु पराग मझारी । होगामल सुत लालजी तासो तहा धर्म सनेह बाहा अधिकारी। तह तिनको उपदेशहि पायकै कोनी कथा रुचि सौं) सुविचारी। होहु सदा सब को मुखदायक राम वरांग को कीरति भारी ।
दोहा
संवत नवइते सही सतक उपरि फुनि भाषि । यूगम सप्त दोउघरी अंकयाम गति साद्धि । इह विधि सब गन लीजिये करि विचार मन बीच ।
जेठ सुदी पूनौ दिवस पूरन करि तिहि खींच ।। इति लिपिकृत पं० सांखूणिस्य अमीचन्द शिश्य झूगराज बाराबंकी नवाबगंजमध्ये संवत् १९३८ का कात्तिक कृष्णा
३६१४. वरांग चरित्र--पांडे लालचन्द 1 पत्रसं० ६६ । श्रा० १२३४६३ इन्छ । भाषाहिन्दी पद्य । विषय-चरित्र 1 र० काल रां० १८२७ माह सुदी ५ । ले. काल सं० १८८३ माघ सुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन सं०३०। प्राप्ति स्थान-दि० जैन मन्दिर सौगाणी करौली ।।
विशेष-ब्रजलाल ठोल्या ने गुमानीराम से करोली में प्रतिलिपि करवाई थी।
३६१५. प्रति सं० २ । पत्र सं० ८५ । आ० ११३४५३ इच। ले० काल सं० १८३५ प्राषाढ़ सुदी ११ । पूर्ण । वेष्टन सं० ६ । प्राप्ति स्थान-दि० जैन पंचायती मंदिर करौली।
३६१६. प्रति सं०३ । पत्रसं० १०४ । प्रा० ११४५१ इच । ले. काल सं० १८३३ वैशाख सुदी ७ । प्रपूर्ण । वेष्टन सं० ४ । प्राप्ति स्थान—दि जैन पं वायती मन्दिर करौली ।
विशेष-१०३ वा पत्र नहीं है । मोतीराम ने अपने पुत्र प्रारणसुख के पढनार्थ बुधलाल से नगर रूदावल में लिखवाया था।
३६१७. प्रतिसं०४। पत्र सं०६३ । प्रा० ११३४ ६ इञ्च । लेकाल सं० १८८३ भादवा बुदी ६ । पूर्ण । बेष्टन सं० ३६ । प्राप्ति स्थान-दि० जन अग्रवाल पंचायती मन्दिर अलबर ।
विशेष- अलवर में प्रतिलिपि की गई थी।
३६१५. प्रतिसं० ५। पत्रसं० १०१ । श्रा० x ६ इञ्च । ले. काल सं० १८७५ बैशाख मुदी ६ । पूर्ण । वेष्टन सं० ५७ । प्राप्ति स्थान----दि जैन पंचायती मंदिर बयाना।