Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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३६८ ]
[ प्रन्थ सूची- पंचम भाग
० काल X
विशेष – रावराजा श्री चौदसिंह जी के शासनकाल दूणी में हीरालाल भोभा ने प्रतिलिपि की । ४०४४, प्रतिसं० ३४ । पत्र [सं० ५७ से १११ । आ० ० ११६ अपूर्ण वेष्टन ०४८ २५ प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर पंचायती दूनी (टोंक) । ४०४५. प्रतिसं० ३५ । पत्रसं०१२४
० ६६ × ६३ इव । ऐ०काल सं० १८६० काली सुदी ४ पूर्ण वेष्टन सं० ४७ । प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर कोटयों का नैरना ।
विशेष – साह नंदराम ने झांबा में ग्रंथ लिखा । सं० १६६५ में साह रोडलाल गोपालसाह गोठडा वाने ने मावा में कोटयों के मंदिर में चढ़ाया |
४०४६. प्रति ३६०१०४० १२३ X ६३ इञ्च । से०काल x पूर्ण । वेन सं० १२६ । प्राप्ति स्थान – दि० जैन मन्दिर श्री महावीर बृदी ।
४०४७. प्रति सं० ३७ पत्र स० १२६ ॥ श्र० १२x६ इव । ले० काल सं० १६७२ | पूर्ण वेष्टन सं० १५५ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर श्री महावीर बूंदी।
विशेष- चुन्दावती में लिखा गया था।
४०४८ प्रतिसं० ३८ । पत्रसं० ६७ । ० १०४ ६३ इन्च लेकास सं० १९०६ । पूर्ण वेष्टन ०५८ प्राप्ति स्थान- तेरहपंथी दि० जैन मन्दिर, गया ।
। ले० काल सं० १६०२ । पूर्ण +
४०४६. प्रति सं० ३६ । पत्र सं० ९४ | आ० १२ × ६ वेष्टन ०७०/४८ प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर भादवा (राज० ) 1 विशेष- प्रति शुद्ध एवं उत्तम है । फागी में प्रतिलिपि हुई थी ।
४०५०. श्रीपाल चरित्र-चन्द्रसागर । पत्र [सं० ५० प्रा० १० हिन्दी गद्य विषयचरि २० काल सं० १८२३ ले० काल सं० १९४४ । प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर फतेहपुर शेखावाटी (सीकर)।
विशेष प्राविभाग-
सकस शिरोमणि जिन नमू तीर्थंकर चौवीस पंचकल्याणक जेहला पास्ता शिवपद ईश || १ || वृषभसेन प्रादेकरि गौतम अन्तिम स्वामि । उसे बावन उपरि सपगृरु परिणाम ||२|| जिन मुख लीजे उपनी सारदा देवी सार । विवरण प्रखमी करी, प्राये बुद्धि विसाल ||३|| सुरेन्द्रकीति गुरु गछपती कीति तेह् अवदास | तेह पाट प्रतिराजता सकलकीति गुण क्षात तस पद कमल भ्रमर सभ चन्द्रसागर चितधार । श्रीपाल नरेन्द्र त क गरिन रसाल ॥
अन्तिम भाग -
काष्टा संघ सोहाम
उदयानस जिममाण | गट नदी तट रामसेन थाम्नाय बलाल ।।
X ६ इन्च भाषापूर्ण । वेष्टन सं० ८१ ।