Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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कथा साहित्य ]
४६५०. रोहिणी कथा
ले०का
विषय-कथा २० काल X जैन मन्दिर अजमेर |
४६५१. प्रतिसं० २ ३ पत्रसं० १५ । ले०काल सं० १८७३ पौष बुदी १३ । पूर्णं । वेष्टन सं ० १२७१ प्राप्ति स्थान- मट्टारकी दि० जैन मन्दिर अजमेर
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४६५२. रोहिणी व्रत कथा- भानुकीति । पत्र सं० ४ भाषा-संस्कृत विषय कथा र०का x सेकालX पूर्व
दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर ।
[ ४७५
० ९४ इन्च भाषा - हिन्दी ( गय) | प्राप्ति स्थान–भट्टारकी दि०
X पत्र०१६ x पूर्ण वेष्टन सं० १३७०
४६.३. रोहिणी व्रत कथा - 2 पत्रस० ११ | मा० १०३४४३ इन्च (ग) विश्वका २० कान X ले०का सं० १८८४ वंशास सुदी १० पूर्ण बेटन प्राप्ति स्थान - भट्टारकीय दि० जैन मन्दिर अजमेर |
४६५४. रोहिणी व्रत प्रबंध - प्र० वस्तुपाल ० सं० १६५४ ०काल X पूर्ण वेटन सं० १५/१३१ मंदिर उदयपुर ।
रागमहार
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'तिम कुहा
विशेष प्रति प्राचीन है एवं पत्र चिपके हुए हैं। प्रादि अंत भाग निम्न प्रकार हैं। प्रारंभ वस्तु चंद
यातु पूज्य जिन नमू ते खर ।
सीकर के बारमो मन वंचित बहु दान दातार सार ए अण वरण सोहामणो सेव्यां दिपि मूल हार ऐ । बालब्रह्मचारी वो सत्तरि काय उन्नत सहुजन सुपूज्य राम मांदनु नि विजयादेवी मात कुक्षिनिरमत जस पवार जालीम कठिन कल सुविचार | विधन सब दूरि नि मंगल वति सार ॥१॥
तह पद पंकज प्रणमीनि रास करू रसाल । रोहिणी व्रत तो मियो सुराज्यो बाल गोपाल ॥१॥ सारदा स्वामिनि बली मूद सह गुह लागू पाय विधन सवि दूरि नि जिम भजन विजन सह सांसो क सजन सभांति निर्मला दुर्जन
पत्रसं०] १४ भाषा हिन्दी विषय-कया। प्राप्ति स्थान-संभवनाथ दि० न
F आ० १०३ X x इथ सं० २४२ । प्राप्ति स्थान
निर्मल बीनती पाडि लोडि || 20
मति मावि ॥ २॥
कर जोडि ।
'पुत्री धार्थिका जेतारे स्त्रीलिंग करो विशास खरमि गया सोहामा पापा देव पद बास १ पुत्रपाठे संयम मोरे बाबु पूज्य हसू सार । स्वर्ग मोक्ष दो पामीया तप सासते लार ॥१॥
भाषा - हिन्दी सं० १९६४ ।