Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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श्रृंगार एवं काम शास्त्र ]
६१२६. सुन्दर श्रृंगार - महाकवि राज । पत्र सं० ३२ । ० हिन्दी पद्य विषय श्रृंगार २० काश X | ले० काल सं० १००३ पूर्ण स्थान- दि० जैन मन्दिर कोटडियों का हूंगरपुर ।
लिखीत |
यह सुंदर सिंगार की पोथि रच विचारि कधी होइक लघु लीग्यो सुरूवि सुधारि ।। इति श्रीमत् महाकविराज विरचित सुंदर सिगार संपूर्ण संवत् १८६२ वर्षे शाके १७४८ मा
[ ६२८
x ५ इश्व । भाषाबेष्टन सं० १६१-०१ प्राप्ति
च मासे शुक्ल पक्षे तिषौ २ शनिवासरे सायंका
६१२७. प्रतिसं० २० पत्र सं० ७ । श्र० १० X ५ सं० २६३-१४० प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर कोटडियों का हंगरपुर ।
इंच । ले० काल x 1 पूर्ण । वेष्टन
६१२८ प्रतिसं० ३ | पत्रसं० २४ । ०६६ x ४५ इम्ब । ले० काल X । पूर्णं । वेष्टन सं० ३७२ | प्राप्ति स्थान - दि० जैन मन्दिर दबलाना बूंदी।
विशेष-- प्रति प्राचीन है ।
६१२९. प्रतिसं० ४
०११-६२
० ७६
येन सं० ६२ प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर पाहसाथ टोडारायसिंह (टोंक)।
वेवन काल पूर्ण 1
६१३०. प्रतिसं० ५ पत्र ० २५ ग्रा० १०x४३ इच ले०काल सं० १७२८ वेष्टन ० ६१३ | प्राप्ति स्थान दि० जैन मंदिर लश्कर, जयपुर ।
विशेष-प्रांत में सुरदास कृल बारहमासा भी है ग्रन्थ की प्रतिनिधि मानपुरा में हुई थी।
६१३१. सुन्दर गार-सुन्दरदास पत्र [सं० ४७ | भा० ११५ विषय-गार १० काल X ले० काल सं०] १८५२
भाषा - हिन्दी प्राप्ति स्थान
पूर्णा । वे०सं० ५७२
दि० जैन मन्दिर लश्कर जयपुर ।
विशेष- नेमिनाथ त्यालय में पं० विजयराम ने पूरा किया था।
६१३२. प्रति सं० ६ पत्र० ४२ प्रा० ६९५ इथ | से० काल । मपूर्ण । वेष्टन सं० प्राप्ति स्थान दि० जैन मन्दिर नागदी बूंदी।