Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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काध्य एवं चरित ] :
तद अनुक्रमे हुवा गपति विद्या भूषरण सुरि राय ।
तेह पाटे अति दीपता थीथी भूषण यतिराय ।।२१।। त्रोटक-तेह पाटे अति सोभता चन्द्रकीनि कीति अपार । वादी पद गंजन जन केशरी सिंह सम मनधार ।।२२।। "
पति नारा: 8 भतार ! लक्ष्मीसन अति दीपता जेह पाटे अनुसार ।।२३।। . चाल-तेह पाटे अति दीपता इन्द्रभूषण अवतार ।
। मुरेन्द्र कोत्ति गुरु गच्छपति तेह पाटे अग्रतार । कीति देश विदेश में जारण आगम अपार ।
तेह पाटे सुरियर सही सकलकीनि गूणधार ।।२४।। ऋोटक-गुराधार ते सकल कौत्ति ते रिवर विद्यागण भंडार ।
लक्षण द्वात्रिंशलफास्या कला दोहोत्तर तनु धार ।।२५।। . व्याकर्ता तक पुरारा सागर यादी मद ते विचार ।
गण अनंत तेह राजता ते कोई न पावै पार ॥२६॥ चाल-व्या तेह पद कमल सोहामगु मधुकर मम ते जारिप ।
अहा चन्द्र सागर कहे काल ग्याल मन आणि । व्याकर्ण तर्फ पुराण न ले न्हीं जाणु भेद ।
मुझ मति अल्प ज्यु कहत हुँ कवि गुण: अगम अभेद ।।२।४11 । त्रोटक-श्रीपाल गुणा ते अति पए मुझं मति अल्प अपार । । ..
कविता जन हौसि न कीजे तुम्हें गुण तणी भंडार ॥२८|| बाल कर मति जीय ए में ए रचना रची अपार । '...'
जे मणे ते वलि सांभले ते लहे सौम्य भंडार २९il बाल सोजन्या नगर' सोहामण दीसे ते मनोहार ।
सासन देवी ने देहरे परतापुरे अपार। सफलकत्ति विहां राजता छाजता गुरण भंडार ।।
ब्रह्म चन्द्रसागर रचना रची तिहा बेसी मानाहार ॥३॥ . बोदक-मनोहार नगर सोहामरा दीस ते मा कडमाल ।
श्रावक तिहां वलि शोभता मेवाडा नामें विख्यात ।।३१। '' पूजा करे ते नित्य प्राते बखाण सृरणों मनोहार।
नागकुमार जिम दीपता थावक श्राविका तेह नारि ।।३२॥ ." चाल--प्रय संख्या तम्हे जारराज्यो पंचदश सत प्रमाण । "ह ऊपर वलि शोमता साठ बत्तीस ते जागिण ।।
द्वाल बीस ते सोभती मोहनी भवियर लोक । '' सांभसता गुम्न ऊपजनास विधन ते शोक ।।३३