Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 5
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
View full book text
________________
३२८ ]
[ ग्रन्थ सूची-पंचम भाग
चौपई दम्पति बन में पहुंचे जाह सूर्य अस्त रजनी भई पाह।
कही प्रिया वनवारि मिटाइ, समनु करी विस्मै सुखपाई ।।३६।। . अन्तिम पाय :
संवत सत्रह अस्तीस, नाम प्रमोदा ब्रह्माबीस, । अंगहन वदि पांच रविवार, अश्लेष ऐन्द्र जोग मुवार ।
यह चरित्र पूर्ण जब भयौ, प्रति प्रमोद कविता चित ठयो, ___ यह जिनदत्त चरित्र रसाल, तामैं भासौ नाथा विशाल ।
भव्यकजन पढियो चितुलाइ
परत सुनत सभ्यकत्व विठाई।। - धर्म विरुद्ध छन्द करि छीन,
ताहि बनायो पम्यौ परवीन । भव्य हेत मैं रच्यो चरित्र, सुनौ भव्य चित द वृष मित्र । याकै सनत कुमति सब जाइ, सम्यदिष्टि सुश्र होइ भाइ ।।१४॥ याके सुनत पुण्य की वृद्धि, याके सुनत होई गृह रिद्धि । " पाते सुनौ मव्य चितलाइ, याके सुनत पाप मिट जाइ । याहिं सुनत सुख सम्पति होई, यात सुनत रोग नहीं कोई। या मुनत दुःख भिटि जाई, याकं सुनत सुख होई भाइ ।।६।। नर नारि मन देक सुनौ, जाको जसु तिलोक में गनौ । । यह चरित्र सुनियो मन लाइ, विश्वभूषण मुनि कहत बनाइ ।।
छप्पै ... . गंगा सागर मेर खोट प्रासापति मंगा ।
प्रह्मा विष्ण महेस तोय निधि गौरी यंगा।
जोलों जिनवर धर्म तारा भुष मंडल सोभा। . . . . जो नौं सिद्धसम मुक्ति रामा स्लोभा। . .. . तो लौ तिष्ठों नथ यह श्री जिनदत्त चरित्र ।
विश्वभषण भाषा करी मुनियों भविजन भित्त ॥९८|| .... ..
... .: १ संधियां दे ।। ३३४६. प्रति सं० २। पर सं०७८ । श्रा० ११४५ इञ्च । से. काल सं०.१८२३ चैत बुदी १५ । पूर्ण । वेष्टन सं० १२ । प्राप्ति स्थान दिः जन पंचायती मंदिर करोली। .. ......
विशेष-सोमचन्द भोजीराम असाल जैन ने करीली में प्रतिलिपि करवाई थी।
३३४७. प्रतिसं०३३पन स० ५२ । प्रा०.१२६४४५ इश्च । ले. काल ४ । पूर्ण । वेष्टन स०२२ । प्राप्ति स्थान-दि. जैन मन्दिर बैर।
___३३४८, प्रति सं० ४ । पत्र सं. १०४ । ०१४४१ इन्च । से. काल सं० १८७४ अगहन चुदी १० । पूर्ण । दे० सं०६५: । प्राप्ति स्थान -दि जैन मन्दिर सौगाणी करोली ।