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प्रतिक्रमण सूत्र.
अर्थः- एक ( पुरककर्ज के ) शारीरिक अने मानसिक एटले शरीर संबंधी दुःख ने मननां दुःख तेनो दय तथा बीजो ( कम्मरकट के० ) ष्ट कर्मनो क्षय, एटले मोहनीयादिक शुकर्मनो कय, त्रीजो (समा हिमरणं ho) समाधिमरण, (च के०) वली चोथो ( वो हिलाजो अ के० ) बोधबीजनोलान, ते जिनधर्मनी प्राप्तिनुं यावुं एटले क्रियासहित सम्यग ज्ञानदर्शननो लान. प्रकार पादपूर्णार्थ बे. (एं के० ) ए चार बोल, ( मह के० ) माहारे ( संपऊर्ड के०) संपद्यतां एटले घाउ. पण शुं करीने and ? तोके ( तुहनाह के ) तुम नाथ प्रत्यें एटले हे नाथ ! तुक प्रत्यें (पणामकरणेणं के०) प्रणाम करवे करीने एटला वानां मुऊने था या गा यामां लघु चोत्रीश, गुरु पांच, सर्वाक्षर जंगणचालीश बे ॥ ४ ॥
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सर्वमंगलमांगल्यं, सर्वकल्याणकारणम् ॥ प्रधानं स र्वधर्माणां, जैनं जयति शासनम् ॥ ५ ॥ इति ॥ १७ ॥
अर्थः- हवे जिनशासन ने मांगलिक जी संस्कृत श्लोकें करी आशीर्वाद यापे बे. (जैनं शासनं के०) जैन एवं शासन ते श्री जिन तीर्थंकर संबंधी युं शासन एटले प्रदेश. (जयति के०) जयवंतुं वर्त्ते बे, ते केदेवं बे ? तो के ( सर्व मंगलमांगल्यं के०) सर्व मंगलमांहे मांगलिक बे, एटले जैनशासन विना बीजी को मांगलिक वस्तु नथी अने दर्पण, रूपुं पुत्रमुख, गायमुखादिकनुं जो, तथा दधि, गोल, पुष्प, चंदन, अक्षत, दूर्वादिकने जे लोक मांगलिक कहे बे, ते सर्व जूठी कल्पना जाणवी. कारण के ते ऐहिक मंगल बे, ने जैनशासन पारलौकिक मंगल वे. वली ते जैनशासन केहवुं बे? तोके ( सर्व कल्याणकारणं के०) सर्वकल्याणनुं संपूर्ण कारण एटले सुखवृ किनुं कारण बे. वली (सर्वधर्माणां के०) सर्व धर्मोना मध्यमां (प्रधानं के० ) प्रधान बे मुख्य d. ए श्लोकमा जारेण ने लघु उगणत्रीश, मली बत्रीश अरो वे ॥ ५ ॥ एमां जीवदयानी मुख्यता तेजी, ए पाली वे गाथा ने एक श्लोक मली ऋण थ. तेमां बार पद, बार संपदा, लघु एकशो एक अने गुरु गीयार, सर्व मली एकशो बार अरो बे ने ए जयवीयराय नी सर्व मी पांच गाथा थइने पद वीश, संपदा वीश, लघु (१७२) गुरु गणीश, सर्व मली (१०१) अक्षरो बे. ए रीतें सूत्र, अर्थ, संपदा, पद, अक्षर
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