Book Title: Pratikraman Sutra
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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पच्चरकाण नाष्य अर्थसदित. ४७१ हवे पुरुष प्रमाण या जेहने विषे थाय ते पोरिसी जाणवी “आसा ढमासे उपया” इत्यादिक पाठ श्रीउत्तराध्ययनादि सूत्रथी जाणवो.
ए रीतें नोकारसी, पोरिसी, दिनहुँ पूर्वार्ध ते पुरिम, एकासण, एक लगएं, आयंबिल, उपवास, दिवसच रिम, अनिग्रह अने विग एवं दश पच्चरकाणना नाम, ए प्रथमहार थयु. उत्तर नेद दश थया ॥३॥ हवे बीजे छारें पच्चरकाण करवानो पाठरूप विधि चार प्रकारे कहे बे.
जग्गए सुरे अ नमो, पोरिसि पच्चरक जग्गए सुरे॥
सुरे जग्गए पुरिमं, अन्नत्त पञ्चरकाइति ॥४॥ अर्थः-प्रथम नवकारसीनुं पच्चरकाण उच्चरीये तेवारें (उग्गए सूरे के०) उग्गए सूरे (अ के० ) वली ( नमो के०) नमुक्कार सहियं पच्चरकाश चनविहंपि आहारं असणं पाणं खाश्मं साश्मं अन्नकणाजोगेणं सहस्सा गारेणं वोसिरई ए उच्चार करवानो प्रथम विधि जाणवो.
बीजो (पोरिसि के०) पोरिसीनुं (पच्चरक के०) पञ्चरकाण उच्चरीयें, तेवारें ( जग्गए सूरे के ) जग्गए सूरे पोरिसियं पञ्चरकाश, जग्गए सूरे चउविहं पि आहारं असणं पाणं खाश्मं साश्मं अन्नबणाजोगेणं सहस्सा गारेणं ए उच्चार करवानो बीजो विधि जाणवो.
त्रीजो पूरिमानुं पञ्चकाण उच्चरियेंतेवारें (सूरेउग्गएपुरिमं के)सूरे उग्गए पुरिमहं पच्चरकाश् चउविहं पियाहारं ए उच्चार करवानोत्रीजोविधि.
चोथो अनक्तार्थ एटले उपवासर्नु पञ्चरकाण उच्चरीये तेवारें (अन तकं पञ्चरकार के०) अजतकं पञ्चका तिविहंपि आहारं चनविहंपि थाहारं (इति के० ) एम उच्चार करीयें, ए चोथो विधि जाणवो
अहींयां पुरिमाई ते दिवस, पूर्वार्थ समजवु एटले नोकारसी आदि पच्चरकाण जो पूर्वे सूर्योदयथी न कझुं होय तो पण पुरिम थाय, एम उपवासादिक पण थाय. तथा सूर्योदयथी मामीने यावत् आगला दिव सनो सूर्योदय थाय, त्यां सुधी अनक्तार्थ एटले उपवास,पच्चरकाण कहेवाय बे, एम जणाववाने तथा रात्रिनो चलविहार कस्यो होय अने बीजे दिवसें एक उपवासनुं पच्चरकाण करे, तेहने चोथनत्तनु पञ्चरकाण थाय. तथा रात्रि चनविहारपचरकाण न कह्यु होय अने बीजे दिने उपवास करे,
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