Book Title: Pratikraman Sutra
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
स्तुतयः
५२७
शाश्वती ज्ञाताकल्पमां, व्यवहार प्रमुखं यखी जी ॥ ते जिन प्रतिमा लोपे पापी, जिहां बहु सूत्र वे साखी जी ॥ ३ ॥ ए जिन पूजाथी आरा धक, ईशानइंद्र कहाया जी ॥ तिम सूरियान प्रमुख बहु सुरवर, देवी तणा समुदाया जी ॥ नंदीश्वर हा महोत्सव, करे अति हर्ष जराया जी ॥ जिन उत्तम कल्याणक दिवसें, पद्मविजय नमे पाया जी ॥ ४ ॥ ॥ अथ श्री सिद्धचक्रस्तुति ॥
॥ जिन शासन वंबित, पूरण देव रसाल ॥ जावें जवि जणी यें, सिद्धचक गुणमाल || त्रिहुं कालें एहनी, पूजा करे उजमाल || ते मर मर पद, सुख पामे सुविशाल ॥ १ ॥ अहंत सिद्ध वंदो, याचारिज उवसाय, मुनि दरिसण नाण, चरण तप ए समुदाय ॥ ए नवपद समुदित, सिद्धचक्र सुखदाय ॥ ए ध्यानें जविनां, जव कोटि दुःख जाय ॥२॥ यासो चैत्री मां, शुदि सातमयी सार ॥ पूनम लगें कीजें, नव बिल निरधार ॥ दोय सहस गणेयुं, पद सम सामा चार ॥ एकाशी यांबिल तप, श्रागमने अनु सार ॥ ३ ॥ सिद्धचक्रनो सेवक, श्री विमलेसर देव || श्रीपालती परें, सुख पूरे स्वयमेव ॥ दुःख दोहग नावे, जे करे एहनी सेव ॥ श्रीसुमति सुनो, राम कहे नित्यमेव ॥ ४ ॥ इति ॥
॥
सिद्धचक्रस्तुति ॥
॥ अरिहंत नमो वलि सिद्ध नमो, चारज वाचक साहु नमो ॥ दर्शन ज्ञान चारित्र नमो तप, ए सिद्धचक्र सदा प्रणमो ॥ १ ॥ अरिहंत अनंत या थाशे, वलि जाव निरकेपे गुण गाशे ॥ परिक्रमणां देववंदन विधिशुं
बिल तप गणुं गणो विधिशुं ॥ २ ॥ बरिपाली जे तप करशे, श्रीपाल तण परें जव तरशे ॥ सिद्धचक्रने कुण आवे तोलें, एहवा जिन आगम गुण बोले || ३ || सामाचारे वरसें तप पूरूं, ए कर्म विदारण तप शुरू || सिद्धचक मनमंदिर थापो, नयविमलेसर वर यापो ॥ ४ ॥ इति ॥
॥ अथ बीज तिथिनी स्तुति ॥
॥ दिन सकल मनोहर, वीज दिवस सु विशेष ॥ राय राणा प्रणमे, चंद्र ती ज्यां रेख || तिहां चंद्र विमानें, शाश्वत जिनवर जेह || हुं बीज तो दिन, प्रणमं णी नेह ॥ १ ॥ अजिनंदन चंदन, शीतल शीतलनाथ ॥ अरनाथ सुमति जिन, वासुपूज्य शिव साथ ॥ इत्यादिक जिनवर, जन्म
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620