Book Title: Pratikraman Sutra
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 597
________________ स्तवनानि. हिय पत्तनाह संसार तारण ॥ तिहिं देवेहिं निम्मविय समवसरण बहु सुरककारण ॥ जिणवर जग उजोय करे तेजें करि दिनकार ॥ सिंहा सण सामिय उवि, हुर्ड सुजय जयकार ॥ १६ ॥ नाषा ॥ तो चढि उ घण माण गजें, इंदनू नूयदेव तो ॥ हुंकारो करी संचरिङ, कव ण सुजिणवर देव तो ॥ जोजन नूमि समोसरण, पेखवी प्रथमारंज तो ॥ दह दिसि देखे विबुधवह, श्रावंती सुररंज तो ॥ १७ ॥ मणिम य तोरण दंग धजा, कोसीसें नव घाट तो ॥ वैर विवर्जित जंतुगण, प्राती हारज आठ तो ॥ सुर नर किन्नर असुरवर, इंड इंशाणीराय तो ॥ चित्तें चमकिय चिंतवे ए, सेवंता प्रजुपाय तो ॥ १७ ॥ सहसकिरण सम वीर जिण, पेखवी रूप विशाल तो ॥ एह असंजव संचव ए, साचो एस जाल तो ॥ तो बोलावे त्रिजग गुरु, इंदनूई नामेण तो ॥ श्रीमुख संसय सामि सवे, फेडे वेदपएण तो ॥ १ए ॥ मान मेदिह मद वेली करे, जगते नामे सीस तो ॥ पंचसयाशुं व्रत लिई ए, गोयम पहिलो सीस तो॥ बंधव संजम सुणवि करे, श्रगनिनूर आवे तो ॥ नाम ले आनाष करे, तं पुण प्रतिबोधे तो ॥ २० ॥ इणि अनुक्रमें गणहररयण, थाप्या वीर ग्यार तो ॥ तो उपदेशे जुवन गुरु, संजमशुं व्रत बार तो ॥ बिहुँ उपवा से पारणुं ए, आपण विहरंत तो ॥ गोयम संजम जग सयल, जय जयकार करत तो ॥२१॥ वस्तुचंद ॥ इंदनूई इंदनूई चढिय बहुमा न ॥ हुँकारो करि संचरि समवसरण पुहतो तुरंतो ॥ श्ह संसा सामि सवे, चरमनाद फेडे फुरंतो ॥ बोधबीज सजाय मने, गोयम नवह विरत्त ॥ दिरक लेश सिरका सहिय, गणहर पय संपत्त ॥॥ जाषा ॥ श्राज हुई सुविहाण, आज पचेलिमा पुल नरो ॥ दीग गोय म सामि, जो नियनयणें अमिय नरो ॥ सिरिगोयम गणहार, पंच सया मुनि परवरिय ॥ नूमिय करय विहार, नवियां जन पमिबोह करे ॥ समवसरण मकार, जे जे संसा उपजे ए ॥ ते ते पर उपगार, कारण पूजे मुनिपवरो ॥ २३ ॥ जिहां जिहां दीजें दिक, तिहां तिहां के वल उपजे ए ॥ आप कन्हे अण हुँत, गोयम दीजें दान श्म ॥ गुरु उपर गुरुजत्ति, सामिय गोयम उपनिय ॥ण बल केवल नाण, राग ज राखे रंग नरें ॥ २४ ॥ जो अष्टापद शैल, वंदे चढि चवीस जिण ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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