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प्रतिक्रमण सूत्र. निरंतर, ( नम, के) नमस्कार था, ते केहवा बे? तो के ( सर्वामरससमूह के ) समस्त चार निकायना देवताना समूह सहित, तेहना (स्वामिक के० ) खामी जे चोशठ इंस्रो , तेमणे (संपूजिताय के०) सम्यक् प्रकारें पूजित एवा . वली (निजिताय के०) नथी जीत्या देवादिको ये अर्थात् कोश्ये पोताने वश करेलां नथी एवा तथा (जुवन के०) त्रण जुवनना ( जन के ) लोको तेमनुं (पालन के) पालन करवं, तेहने वीषे ( उद्यततमाय के० ) अत्यंत सावधान एवा ने ॥ ४ ॥
सर्वरितौघनाशन, कराय सर्वाऽशिवप्रशमनाय ॥
उष्टप्रदजुतपिशाच, शाकिनीनां प्रमथनाय ॥५॥ अर्थः-वली केहवा बे ? तो के ( सर्व के० ) समस्त जे (रित के०) पाप तेहनो (उघ के) समूह. तेहना (नाशनकराय के) नाश करनार बे. वली ते केहवा बे? तो के (सर्वाशिव के०) सर्व जे अशिव एटले उपश्व तेहना (प्रशमनाय के०) प्रकर्षे करी एटले अतिशयपणे समावणहार बे, वली केहवा जे? तो के (उष्टग्रह के०) कुछ आकरा एवा जे मेंगल, शनिश्चर, राहु, केतु, इत्यादिक असुखनां करनार ग्रह तथा (नूत के०) वृदादिकने विषे वसनार, ( पिशाच के०) राक्षसादिक, तथा (शाकिनी नां के०) शाकिनी ते मंत्राधिष्ठित स्त्री, ए सर्वना उपञवो तेमने (प्रथम नाय के ) प्रकर्षे करी मथन एटले नाशना करनार बे, मटामनार ने अ र्थात् श्रीशांती जिनेश्वरना स्मरण करनारना पूर्वोक्त सर्व उपजवो, नाश ने पामे , माटें तेने नमस्कार थाय ले ॥५॥
यस्येति नाममंत्र, प्रधानवाक्योपयोगकततोषा ॥ विजयाकुरुतेजनहित, मितिच नुता नमत तं शांति॥६॥ अर्थः-हे जव्य जनो! तमें (तं के०) ते (शांति के०) श्रीशांतिजिनप्रत्ये (नमत के०) प्रणाम करो, ते कया शांतिजिन ? तो के (यस्य के०) जे शां तिजिननो (इति के०) ए पूर्वोक्त प्रकारे करीने (नाममंत्र के) नामरूप जे महामंत्र तेणें करीने (प्रधानवाक्य के०) प्रकृष्ट सर्वोत्तम पवित्र एवं जे वचन तेनो (उपयोग के) उपयोग एटले नामोच्चारणमात्र स्मरण
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