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प्रतिक्रमण सूत्र. अर्थः-( शांतिनाथ जिनः के० ) शांतिनाथनामा जिन ते, (वः के० ) तमारी एटले नव्यजीवोनी ( तमः के ) अाननी ( शांत्यै के० ) शांतिने अर्थे ( अस्तु के०) था. हवे ते शांतिनाथ केहवा ? तो के ( सुधा के० ) अमृत तेनी (सोदर के०) सरखी एवी ( वाक् के०) वा णी ते रूप जे (ज्योत्स्ना के०) चंडिका तेणें करी ( निर्मलीकृत के) निर्मल कस्यां ( दिङमुखःके ) दिवासी जनोनां मुख जेमणे एवां बे, व ली ( मृगलमा के) मृगनुं ने लक्ष्म एटले चिन्ह जेमने एवा ने ॥१७॥
हवे सत्तरमा श्रीकुंथुनाथ जिनने स्तवे ने. श्रीकुंथुनाथो नगवान, सनाथोऽतिशयदिनिः॥
सुरासुरननाथाना, मेकनाथोऽस्तु वः श्रिये॥२॥ अर्थः-(श्रीकुंथुनाथोजगवान् के ) षडैश्वर्यगुणयुक्त एवा श्रीकुंथुनाथ जगवान् ते ( वः के) तमोने (श्रिये के ) कल्याणरूप लक्ष्मीने अर्थे ( अस्तु के० ) था. ते कुंथुनाथ नगवान् केहवा डे ? तो के ( अतिश यर्जिनिः के०) चोत्रीश अतिशयरूप जे झकि तेणें करी (सनाथः के ) सहित . वली ते केहवा ले ? तो के ( सुर के ) वैमानिक देवता ( असुर के०) नवनपत्यादिक देवता (नृ के०) मनुष्य तेमना (नाथा नां के ) स्वामी जे इंघ अने उपेंड जे चक्रवर्त्यादिक तेमना (एकनाथः के) एकनाथ एवा अर्थात् अद्वितीयपणे नाथ ने ॥ १५ ॥
हवे अढारमा श्री अरनाथ जिनने स्तवे बे. अरनाथस्तु नगवाँ, श्चतुर्थारननोरविः ॥
चतुर्थपुरुषार्थश्री, विलासं वितनोतु वः ॥२०॥ अर्थः-(नगवान् के ) ज्ञानादि बार अर्थयुक्त, अर्थात् जगशब्दना चउद अर्थ थाय जे. तेमांथी बार अर्थ परमेश्वरने घटे हे माटें अहिं बार अर्थ लेवा. एवा (अरनाथस्तु के ) अरनाथनामा जिन, ते (वः के) तमोने (चतुर्थपुरुषार्थ के०) चोथो पुरुषार्थ जे मोदा, तेहनी (श्री के०) लक्ष्मी तेनो ( विलासं के) नोगविलासने ( वितनोतु के ) विस्तारो. ते अरनाथ नगवान् केहवा के ? तो के ( चतुर्थार के) चोथो आरो ते रूप ( ननः के) आकाश तेने विषे ( रविः के) सूर्यसमान ॥२॥
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