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प्रतिक्रमण सूत्र. के० ) महोटो जेनो प्रनाव एटले महिमा बे, उत्सवोयें करी आत्माने प्रीति करनारी बे, वली केहेवा जे ? तो के (जो बावत्तरिपुरवरसहस्स के०) जे बहोंतेर हजार एवा पुरवर ते, जे घरोयें करीने श्रेष्ठ तेने पुरवर कहिये तथा ( वरनगर के०) श्रेष्ठ नगर जे गजपुरादि, जेमां कर नहीं, ते नगर कहियें अने ( निगम के ) ज्यां महोटा झद्धिवंत वणिक् व्यवसाय कर नारानी दुकानो होय ते, तथा (जणवय के) जनपद ते देशविशेष जाणवा तेना ( वई के०) अधिपति स्वामी, अथवा प्रकारांतरें बत्रीश स हस्त्र पुरवर, नगर, निगम, जनपद, तेना स्वामी एवा, अने (बत्तीसारायव रसहसा के ) बत्रीश हजार एवा जे रायवर एटले मुकुटबद्ध राजा ते बत्रीश हजार देशना नायकें (अणुयायमग्गो के०) अनुयात मार्ग २ जेमनो एटले ते बत्रीश हजार देशना मुकुटबक बत्रीश हजार राजा ते सर्व श्रीशांतिनाथ नामा चक्रवर्तीनी पनवाडे चालनारा बे. वली केहवा डे ? तो के (चउदस के०) चउद डे ( वर के) श्रेष्ठ एवा ( रयण के) रत्न जेने एवा, तथा ( नवमहानिहि के०) नव महोटा निधि एटले निधान नंमार अखूट दे जेने, वली (चनसहिसहस्स के ) चोशठ हजार (पवर के ) प्रवर एटले श्रेष्ठ एवी ( जुवईण के ) युवती जे स्त्री तेना ( सुंदरवर के ) सुंदर पति एटले जर्रार बे, वली (चुलसी के०) चोरा शी (सयसहस्स के०) शत सहस्र एटले चोराशी शो हजार अर्थात् चोराशी लाख ( हय के ) घोमा तथा चोराशी लाख (गय के० ) गज ते हस्ती तथा चोराशी लाख (रह के०) रथ, तेना (सामी के०) खामी अधिपति जाणवा. वली को ठेकाणे अढार क्रोड घोडा पण कह्या तथा व ली ( बमवश्गामकोमि के ) बन्नुं क्रोम गाम तेना ( सामी के )खामी एवा (जयवं के०) जगवान् (नारहम्मि के) जरतदेत्रने विषे (आसि जो के०) होता हवा ॥ ११॥ आ वेष्टकनामा बंद जाणवो.
तं संतिं संतिकरं, संतिमं सवनया ॥ संतिं थुणामि जिणं, संतिं वेहेन मे ॥२॥ रासानंदियं ॥युग्मम् ॥ अर्थः-(तं के० ) ते पूर्वोक्त (संति के०) मूर्तिमान् उपशमरूप एवा तथा (संतिकरं के०) व एटले पोताना अंतिक जे समीप ते मोद
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