________________
( ६ )
वर्द्धन ) के शिष्य दयासिंहजी के आप सुशिष्य थे । संस्कृत, प्राकृत, राजस्थानी एवं हिन्दी भाषा के आप सुकवि और मर्मज्ञ विद्वान थे । आपके रचित कृतियों को संक्षिप्त सूची इस प्रकार है
(१) भर्तृहरि शतक त्रय बालावबोध संवत् १७८८ कातो वृदि १३ सोजत में रचित (अभयसिंह राजा के मंत्री छाजेड़ गोत्रीय जीवराज के पुत्र मनरूप के आग्रह से )
(२) अमरूशतक बालावबोध - संवत् १७८१ आश्विन शुक्ला १५ ( उपरोक मंत्री पुत्र प्राग्रहात् ) अभयसिंह राज्ये ।
(३) समयसार (नाटक) बालावबोध - सम्वत् १७६८ आश्विन, स्वर्णगिरी [गणधर ( चोपड़ा) गोत्रीय जगन्नाथ हेतवे ] प्रकाशित
(४) गौतमोय महाकाव्य ( ११ सर्ग) सं० १८०७ जोधपुर ( रामसिंह राज्ये) प्रकाशित ।
(५) गुरणमाला प्रकरण - संवत् १८१४ (जिनलाभ सूरि की आज्ञा से )
(६) चित्रसेन पद्मावती चौपाई - संवत् १८१४ पो० सु० १० (७) चतुविशति जिन स्तुति पंचाशिका ( गाथा ५० ) संवत् १८१४ भाद्रवा वदो ३ बोकानेर |
(८) भक्तामर टबा -- संवत् १८११ जेठ सुदी ८, काला ऊना ( शिष्य पुण्यशील * विद्याशील के आग्रह से )
* संवत् १८३३ श्रा० म० ५ मुनरा बंदरा में क्षमाकल्याणजी के पास कई नियम ग्रहण किये थे ।
Aho ! Shrutgyanam