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४ श्री ऋषभदेव-मन्दिर
धोलागढ की ढालू जमीन पर यह मन्दिर स्थित है, जो विक्रम की १३ वीं शताब्दी में मंत्री नाहड द्वितीय के किसी कुटुम्बीने बनवाया है। इस मंदिर का भी जीर्णोद्धार होने की अब खास आवश्यकता है।
इसके प्राचीन मूलनायक खंडित हो जाने से, उन्हें इसी मन्दिर की भमती में भंडार के उनके स्थान पर सं. १९०३ में उतनी ही बडी दूसरी प्रतिमा स्थापन की गई है, जिसके प्रतिष्ठाकार सागरगच्छीय श्री शान्तिसागरसूरिजी हैं।
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श्री कोरटाजी-तीर्थ ।
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