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( १९) यहाँ के जैन और जैनेतर लोगों का कहना है कि-यदि वीस पच्चीस हजार रुपया लगा कर कोरटा कसबे के आस पास की जमीन का खोद काम कराया जाय, तो अनेक पुरानी जिनमूर्तियाँ निकलने की संभावना है । - जिस समय दो काउसगियों के सहित भगवान् श्री ऋषभदेवजी की प्रतिमा प्रगट हुई थी, उस समय उनके दर्शनों के लिये अनेक गाँवों के भावुक उपस्थित हुए थे। केशर की आवक अन्दाजन १३५२॥-)॥ रुपयों की हुई थी। बाद में सर्वानुमत से तीनों मूर्तियाँ कोरटा के प्राचीन उपाश्रय में स्थापन की गई थीं। अन्दाजन चौदह वर्ष तक ये उपाश्रय में रही, परन्तु उपाश्रयं का जब सुधार काम जारी हुआ, तब तीनों प्रतिमा दूसरे मकान की कोठरी में पथराई गई। इस 'मकान में भी ये मूर्तियाँ चौतीस वर्ष पर्यन्त पूजाती रही है .....
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