Book Title: Kortaji Tirth ka Itihas Sachitra
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Sankalchand Kisnaji
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.(१०९) यतीन्द्र रचित तीर्थ इतिहास में, नेमि गायनपद प्रगट छपाना को० ८
ख्याल की राह मेंकोरटे दरसन करवाने, मनमें लाग्यो अधिक
उमाहो भवजल तरवाने को० ।। टेर ।। भंजनशलाका ओच्छत्र सुणियो, मुक्ति वरवाने, सुर नर सारा आवे देखवा, सब दुःख हरवाने. को १ दिन एकादशी दर्शन कीना, सफल जन्म सारो।
आदीश्वर अद्भुत देखता, मन मोह्यो मारो. को० २ त्रिभुवन नायक केई तरिया, अठे विराजो आप । मांग्याने मनवंछित देवे, गुनो करो सब माफ. को. ३ धन्य घडी धन भाग्य हमारा, प्रभुदर्शन पाया। केई कालरा पुन्य पुरवला, आज उदय प्राया. को० ४ चित घान्यो राजेन्द्रसरि, गुणी गीतारथ मोटा। विविध प्रकारे विधि करावे, भांगे सचि तोटा. को० ५ इण वेला में श्रोच्छव कीना, श्रीसंघने शाबास। लाख लाखने ल्हेरांवरते, वसवा शिवपुर वास. को० ६ माहोरथी तेडावी टोली, तेड्या त्रिभुवनदास । बहुविध वालको गुरु गुण गावे, रमणिक गूंथे रास. को०७ 'संवत अट्ठावनरी साले, वरत्या मंगल चार। . उमेद करी मादीश्वर ध्याने, जिणघर जय जयकार.को०८
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