Book Title: Kortaji Tirth ka Itihas Sachitra
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Sankalchand Kisnaji

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Page 132
________________ (१०७) भेखरे उतारो राजा भरतरी० ए राहमरोसो वीर ! इक ताहरो, जगदीश जगभान जी । कृपा करी प्रभु दासपे, लीजो अर्ज दिल मान जी । भ. १ त्रिशलादेवी अतिलाडलो, सिद्धारथ तुज तात जी। जय हो सदा वीर प्रापनी, जय जय त्रिलोकी नाथ जी ।। म० २ अभिग्रह करी अति आकरो, तारी चंदनवाल जी । धन्य वीर विभु आपने, धन्य धन्य मुनिपाल जी || भ० ३ स्थापना करी चतुर्विध संघनी, तार्या कई नरनार जी । उपसर्गों दुष्कर वेठीने, पाम्या पद श्रीकार जी ॥ भ० ४ रस वसु निधि चन्द्र में, भेट्या तुज चरणसरोज जी । यतीन्द्र मुनि पय वंदिने, विवेकविजय गुण मोज जी।भ०५ चालो सकल मिल सिद्धगिरि जाना, ए राहकोरटा तीरथ का ध्यान लगाना; पूर्व उपार्जित पाप भगाना । मूर्ति मनोहर महावीर मंदिर, मन वच काय से प्रभु गुण गाना को० १ अतिप्राचीन जैनमत मंडन, खंडन नुम्पक नजीर दिखाना । मूर्तिपूजा यह शास्त्र सिद्ध है, सबूत अद्भुत यह सबको सिखाना को० २ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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