Book Title: Kortaji Tirth ka Itihas Sachitra
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Sankalchand Kisnaji

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Page 136
________________ ( १९१ ) सुंदर प्रतिमा श्वेतवर्ष की, ऊंची के फुट पांच । खडी मूरति शांति संभव, फुट छ सादा पांच ॥ज.३॥ कषाय मंगल निधि शशि वर्षे, भेट्या दीनदयाल । मगसिरवद तृतीया की यात्रा, कीनी थई उजमाल ॥ ज०४॥ सेदरिया संघ हुआ रवाना, साथ गुडा समुदाय । कुंदनमल को दर्शन मिलिया, गुरुयतीन्द्र पसाय ॥ ज०॥ नदी नमुना के तीर० ए राहजगतारक जिनराज अछो तुमे जगपती, मुज हिवडानो हार तुंही त्रिभुवनपती । भाषक भासनरूप तिणे जाणो छती, तो पण बालक वोल वीनवू तुज प्रती ॥१॥ वर महिला धन माल छाय रह्यो मोहनी, लागी तृष्णा लार अशुभ शुभ लोहनी । जो निर्यामक श्रेष्ठ इष्ट के तो भणी, तारो दीन-दयाल ! दया करी मो भणी ॥ २॥ बृठो अम घर भाज, अमीरस मेहलो, नयणे निरख्यो नाह, संभारी नेहलो । अनुभव रूप स्वरूप प्रभुने अटकन्यां, ते मुह माग्यो आज सखी पाशा ढन्यां ॥३॥ सावराज महाराज मलग जइने वस्या, मुज मन पंकज महल छदज्ञ थइने धस्या । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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