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(१०८) वीरनिर्वाण से सित्तर वर्षे,
रत्नप्रभसूरि थे जग भाना । वैक्रियलब्धे किये प्रतिष्ठित, __ तीरथ दोनों प्रसिद्ध कहाना प्रोशिया नगरी कोरंट पुर वर,
दोनों नगर भुवि प्रगट पहचाना । चारों मंदिर सुंदर शोभित,
अनुभव यश नित जिनमत जाना ऋषभ ऋषभ प्रभु पार्श्व जिणिन्दा,
जगदानन्दा सुख विलसाना । वृद्धदेवसूरि स्थापन कर्ता,
भवियण भाव से भक्ति बजाना सौधर्मतपगच्छ गगन दिवाकर,
विजयराजेन्द्रसूरि अति बलवाना । इसी नगर में किये प्रतिष्ठा,
पुनरुद्धार ये दिल में लाना प्रायः सर्व से अधिक प्राचीना,
दर्शन करने को नित नित जाना । सर्व कुशल कल्याण के दाता,
पूजन करके पाप पुलाना संक्त रस सिद्धि निधि इन्दु वर्षे,
शुक्ल पोष की नवमी भाना ।
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