Book Title: Kortaji Tirth ka Itihas Sachitra
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Sankalchand Kisnaji

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Page 133
________________ को ३ को० ४ (१०८) वीरनिर्वाण से सित्तर वर्षे, रत्नप्रभसूरि थे जग भाना । वैक्रियलब्धे किये प्रतिष्ठित, __ तीरथ दोनों प्रसिद्ध कहाना प्रोशिया नगरी कोरंट पुर वर, दोनों नगर भुवि प्रगट पहचाना । चारों मंदिर सुंदर शोभित, अनुभव यश नित जिनमत जाना ऋषभ ऋषभ प्रभु पार्श्व जिणिन्दा, जगदानन्दा सुख विलसाना । वृद्धदेवसूरि स्थापन कर्ता, भवियण भाव से भक्ति बजाना सौधर्मतपगच्छ गगन दिवाकर, विजयराजेन्द्रसूरि अति बलवाना । इसी नगर में किये प्रतिष्ठा, पुनरुद्धार ये दिल में लाना प्रायः सर्व से अधिक प्राचीना, दर्शन करने को नित नित जाना । सर्व कुशल कल्याण के दाता, पूजन करके पाप पुलाना संक्त रस सिद्धि निधि इन्दु वर्षे, शुक्ल पोष की नवमी भाना । को ५ को० ६ को. ७ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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