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(४८) सूरिणा श्रीमद्विजयसिंहेन जिनयुग्मं प्रतिष्ठितं बृहद्गच्छे ।"
___ --वि०सं०११४३ वैशाखसुदिर गुरुवार के दिन महावीरदेव के श्रावक रामा जरूकने ये जिनयुगल कराये,तथा देवी मनातुने उनको स्थापन किये और बृहद्गच्छीय अजितदेवाचार्य के शिष्य आचार्य विजयसिंहसूरिजीने उनकी प्रतिष्ठा की।
इसी प्रकार महावीरमन्दिर के पीछे २० कदम पर 'नहरवा' नामक स्थान की जमीन खोदते समय सं०१९७४ में अखंडित तोरण और धातुमय छोटी जिनप्रतिमाएँ निकली थीं। समय समय पर कोरटा कसबे की आस पास की जमीन से अब तक कोई ५० जिनमूर्तियाँ उपलब्ध हुई हैं । ये सभी मूर्तियाँ गाँववाले नवीन जिनालय में रक्खी हुई हैं। ये सभी धातुमय मूर्तियाँ स०१२०१ से १५३४ तक की प्रतिष्ठित हैं और उनके प्रतिष्ठाकार देवसूरि, शांतिसूरि, जजगसूरि आदि जुदे जुदे आचार्य हैं।
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