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टनगर में महावीर मन्दिर - प्रतिमा की प्रतिष्ठा उसी लग्न में करके, वापिस ऊकेशनगर आ कर रत्नप्रभाचार्यने प्रतिष्ठा का अवशिष्ट विधान भी पूर्ण किया । इस प्रकार महाराज श्रीरत्नप्रभः सूरिजीने ऊकेशनगर आर कोरंटकनगर में श्री महावीरनिर्वाण से ७० वर्ष बाद महावीर मन्दिर प्रतिमा की प्रतिष्ठा एक ही लग्न में की।
श्रीरत्नप्रभसूरिजी महाराजने ऊकेशनगर में अपने उपदेशबल से सेठ ऊहड आदि अठारह हजार महाजन कुटुम्बों को प्रतिबोध देकर जैनी बनाया । एकदा समय आचार्यने स्वप्रतिबोधित श्रावकों को कहा कि देवी चण्डिका अनेक प्राणियों का घात करनेवाली है अतः इस पापिनी देवी का पूजन तुम न करो । श्रावकोंने कहा - स्वामिन् ! यह देवी चमत्कारिणी है, यदि इसका पूजन न किया जाय तो हमारे कुटुम्ब का नाश कर देगी । आचार्यने कहातुम लोग घबराओ मत, तुम्हारी रक्षा में करूं
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