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( ९३ ) ये सब लोग यहाँ क्यों इकटे हुए हैं ?, राजाने हर्ष के आंसु वर्षाते हुए पुत्र को सारा हाल सुनाया, और कहा-बेटा! इन महायोगीश्वर के प्रौढ प्रभाव से आज तेरा पुनर्जन्म हुआ है इसलिये सकुटुम्ब अपने सब इन महापुरुष के ऋणी हैं।
गुरुमहाराज का महा अतिशय देख, उनको साक्षात् ईश्वर का अवतार मान कर उनके चरणों में पड़े और प्रार्थना करने लगे कि स्त्रामिन् ! आप हमारा राज्य भंडार सर्वस्व लेकर हमको कृतार्थ करें । आचार्य बोले-हमने तो राज्य की लालसा से यह काम नहीं किया, अगर हमे राज्य की इच्छा होती तो अपने पिता का राज्य ही क्यों छोडते ? इस वास्ते स्वर्ग मोक्ष का देनेवाला, अक्षय सुख का देनेवाला, और सर्व जीवों को आनन्द का देनेवाला, सर्वज्ञ अरिहंत परमात्मा का कहा विनयमूल धर्म ग्रहण करो। राजाने प्रार्थना की कि-प्रभो! आप
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