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( ७६ ) शासनदेवीने शासनोन्नति करने का मानसिक विचार किया। इसी अरसे में इस नगर के रहनेवाले ऊहड नामक सेठने श्रीकृष्ण का अनुपम मन्दिर बनवाना शुरू किया। शासनदेवीने उसमें बैठाने के लिये श्रीमहावीरस्वामी की प्रतिमा ऊहड की गौ के दूध से बनाना शुरू की। सेठ की गाय सायंकाल में गौओं के टोले से जुदी पड़ कर, लावण्यइद-पर्वत में नित्य अपना दूध छोड आती थी, सेठने दूध के अभाव का कारण गोवाल से पूछा । गोवालने सावधानी से निगाह करके उसका सारा हाल सेठ को प्रत्यक्ष दिखलाया । ऊहडने ब्राह्मणों को बुला कर पूछा; उन्होंने उसका भिन्न भिन्न रूप से समाधान किया, परन्तु सेठ को उसके वास्तविक कारण का पता नहीं लगा।
भाग्यवश रत्नप्रभाचार्य दूसरी वार विहार करते हुए ऊकेशनगर में मासकल्प रहे । ऊहड प्राचार्य के पास गया, और वन्दना पूर्वक दु.
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