________________
( ७७ ) ग्घाऽभाव का कारण पूछने लगा। आचार्यने कहा इसका असली उत्तर तुमको कल मिल जायगा, ऐसा सुन कर सेठ अपने घर आया।
आचार्यने शासनदेवी को बुलाई, उसने प्रत्यक्ष होकर कहा कि सेठ की गौ के दूध से मैं महावीरप्रभु की प्रतिमा तैयार कर रही हूं और वह छः महीने में तैयार होगी, सेठ जो कृष्ण का देवालय बनवा रहा है उसमें मूल नायक तरीके यही प्रतिमा विराजमान होगी। आचार्यने कहा-अच्छा ! तुं यह बात स्वयं अपने मुख से ऊहड के सामने प्रगट करके जाना। तदनन्तर शासनदेवी आचार्य की आज्ञा से ऊहड़ के घर जाकर रात्रि के समय प्रत्यक्ष रूप से उसके सामने सब हाल यथार्थ प्रगट करके अदृश्य हो गई।
प्रातःकाल में ऊहडने आचार्य के पास जाकर देवी कथित सब हकीगत कही। आचार्यने फरमाया-सेठ ! देवीने जो कुछ कहा, वह
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com