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" संवत् १२४१ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १५ गुरौ दिने श्रीरणछोडजी प्रसादात्सूत्र० मंडनसुत हाजा, पुत्र तेजसी पुत्र कला कारापिते श्रीकोरटान गरे ।
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-- सं० १२४१ जेठसुदि १५ गुरुवार के दिन सूत्रधार ( सलावट - कडिया ) मंडन पुत्र हाजा, तत्पुत्र तेजसी के पुत्र कलाने यह मंदिर और रणछोड़ की मूर्त्ति कराई कोरटानगर में । "
७ - इनके अलावा ' बोकीवाव ' जिसका जल खारा है, तथा नदी के बीच में 'अलावटा' कुंड जिसका जल मीठा और हलका है अपने प्राचीन गौरव को अब तक स्मरण करा रहे हैं । ये जलाशय सदैव सजीवन रहते हैं और वारिश न होने पर भी इनका जल कभी खूटता नहीं है ।
८- इसी प्रकार खेतलादेवल और बागेसर महादेवदेवल भी यहाँ की प्राचीनता का स्मरण करानेवाले हैं । वागेसर का देवल कोरटा से पूर्व में ३ माइल के फासले जबाँई नदी के बांये किनारे पर है और खेतलादेवल कोरटा गाँव
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