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( ६८ ) स्वस्ति श्रीसकलमङ्गलमाणमण्याकरान्निखिलजिनाधीश्वरचरणसरोजान् प्रणम्य समस्तानन्दालये तत्र श्री.... 'नगरे मुक्तिसौधसरणिवीतरागकरगताऽऽज्ञासमुपासक शाश्वतशिवशमैकाऽबन्ध्यनिबन्धनसम्यक्त्वमूलद्वादशव्रतसमाराधकदेवगुरुभक्तिकारक पुण्यप्रभावक सुश्राद्धसद्गुणगणालंकृत समस्तश्रीश्रमणोपासक श्रीसंघचरणान् प्रति सेठजीशा'.. योग्य श्रीकोरटाजी तीर्थ सेलि० शा............. गाँव...........'वाले का सविनय प्रणाम सह नम्र विज्ञापन वांचनाजी। वि. अत्र श्रीदेवगुरु धर्म की कृपा से कुशल मंगल है, आपके वहाँ भी कुशल मंगल चाहते हैं !
वि० वि० यह कि श्रीकोरटाजी का तीर्थ बड़ा प्राचीन और प्रभाविक है। इस तीर्थ में कई प्राचीन मन्दिर हैं। श्रीऋषभदेवजी की प्रतिमा, परमात्मा श्रीमहावीरप्रभु का मन्दिर जिसकी प्रतिष्ठा महावीरपरमात्मा के निर्वाण से
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