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७० वें वर्ष में पार्श्वनाथ सन्तानीय श्रीमान् रत्नप्रभसूरीश्वरजीने विद्याबल से ओसियाजी तीर्थ के साथ एक ही लग्न में की थी, यह मन्दिर गाँव से पाव कोश की दूरी पर है, और भी दो मन्दिर हैं । ये सब मन्दिर प्राचीन हैं। ____ इस तीर्थ की यात्रा का मेला हमारी तरफ से ....सुदि १५.......... 'वार का मुकरर किया गया है और साधर्मिक वात्सल्य (नवकारसी) भी हमारे तरफ से उस दिन होगा।आप श्रीसंघ को हमारी आग्रह पूर्वक सविनय नम्र प्रार्थना है कि आप सह कुटुम्ब साधर्मिक भाईयों के परिवार सहित मेले में पधार कर, यात्रा का लाभ लेवें और सम्यक्त्व की निर्मलता के हेतु परमात्मदर्शन का लाभ उठावें और शासन प्रभावना की वृद्धि करें। संवत् १६
लि. श्रीसंघचरणसेवकमिती......."सुदि १५ । शा. बार.... ....... ........"वाले का प्रणाम वाचना.
नोट--जो महाशय रेलमार्ग से आवेंगे
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