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(४५) मजबूत तलघर-भोयरा है और ऊपर के भाग में जैनप्रतिमाओं के बैठने सदृश सुन्दर पव्वासन बना हुआ है। कहा जाता है कि इसके वारसाख में जैनप्रतिमा थी, जो तोड़कर गणेशाकार बना दी गई है । कतिपय वृद्ध लोगों का यह भी कहना है कि प्राचीन समय में यहाँ धातुमय जिनप्रतिमाएँ विराजमान थीं, परन्तु जैनों का बल कम होने से जैनेतरोंने जिनप्र. तिमाओं को गला कर, उसका नागफणसहित शंकर बना डाला, जो इस समय तलकर में स्थापित है। कुछ भी हो यह मन्दिर निःसन्देह जैनों का ही है। इसका शिखरवाला भाग तालाबंद रहता है और वह प्रायः खोल के किसी को बताया नहीं जाता।
६-कोरटा गाँव में एक शिखरबद्ध चारमुजा का मंदिर है । इसमें दो फुट बड़ी खडे आकार की रणछोडजी (कृष्ण) की मूर्ति स्थापित है । इसकी बैठक के नीचे लिखा है कि
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