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जागीर पर अधिकार रहा । सं० १६५३ में यह जागीर सिरोही के. देवडा चौहानों और उसके बाद आंबेर तथा मेवाड़ के. महाराणाओं के अधिकार में चली गई ! __ सं०१८१३ से १८१९ के दरमियान महाराणा उदयपुर को महरबानी से कोरटा जागीर पांच गाँवों के साथ वांकली के ठाकुर जूंजारसिंह के पुत्र रामसिंह को मिली। गोडवाड परगना जब जोधपुर (मारवाड) के तरफ आया तब जोधपुर के महाराजा विजयसिंहजीने सं० १८३१ जेठवादि १२ के परवाने से ठाकुर रामसिंह को कोरटा १ बांभणेरा २, पोइणा ३, नारवी ४. पोमावा ५, जाकोडा और वागार, इन ७ गाँवों की सनंद कर दी, जिससे रामसिंह के तरफ अपने वंट की वांकली गाँव की जागीर और कोरटा पट्टे की जागीर रही, जो अब तक उसीके वंशजों के अधिकार में है। कोरटा के वर्तमान ठाकुर छगनसिंहजी हैं। उनका बंशवृक्ष नीचे मुताबिक है
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