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(४७) में ही है। यहाँ दूसरे भी इतने प्राचीन स्थान हैं कि जिन्हों का प्राचीन हाल जानना भूलभुलैया का खेल हो रहा है। ११ प्राचीन जिनप्रतिमाएँ प्रगट हुई
सब से प्राचीन महावीर-मन्दिर के कोट का सम्मारकाम कराते हुए बाँये तरफ की जमीन के एक धौरे को तोडने से उसके दो हाथ नीचे सं०१९११ जेठसुद्धि के दिन बादामी रंग की ५ फुट बड़ी आदिनाथ भगवान् की पद्मासनस्थ, और उतने ही बड़े संभवनाथ तथा शान्तिनाथ के दो काउसगिये (खडे आकार की मूर्ति) एवं तीन प्रतिमाएँ निकली थीं, जो सर्वाङ्गसुन्दर हैं । दोनों काउसगियों के आसन पर एक ही मतलब का नीचे मुताबिक लेख खुदा हुआ है--
" सवत् ११४३ वैशाखसुदि २ बृहस्पतिदिने श्रीवीरनाथदेवस्य आवको रामाजरूकः कारयामास, सह्येवं देवी मनातु श्रीअजितदेवाख्यसूरिशिष्येण
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