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(५७ ) के छोटे भाई सालिग के ५०० कुटुम्बों को जैनी बनाया था। मंत्री सालिगने कोरंटक आदि नगरों में नाहडवसहि प्रमुख ७२ जिनमंदिर बनवा के, उनकी प्रतिष्ठा वृद्धदेवसूरिजी के हाथ से करवाई थी। कोरटा के समीप बांभेणरा की पहाड़ी के नीचे वीरप्रभु का प्राचीन मंदिर है। उसके कोटके वामभाग की जमीन खोदते हुए सं० १९११ जेठसुदि८ के दिन शान्तिनाथ और संभवनाथ के काउसगिया सहित ऋषभदेवजी की अति मनोहर प्रतिमा प्रगट हुई १-८
इन प्राचीन प्रतिमाओं को विराजमान करने के लियेकोरटा-संघने सुन्दर शिखरवाला मंदिर बनवाया। इसकी प्रतिष्टा सौधर्मबृहत्तपामच्छीय-श्रीविजयराजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराजने सं० १९५९ वैशाखसुदि १५गुरुवार के दिन वृषभलग्न में की, और उसी समय कतिपय नूतन जिन प्रतिमाओं की भी अंजनशलाका की ९-१२
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