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सामने मंडप में वीरासन गरुड की मूर्त्ति है, जो सं० १३१९ वैशाखसुदि १५ के दिन इसमें बैठाई गई है ।
४ - लक्ष्मीनारायण के मन्दिर से दक्षिण में सूर्यमंदिर है जिसको सं० १२२६ माघसुदि ९ शुक्रवार के दिन महाराजा सामन्त सिंह के समय में जिसपाल के पुत्र उदयसिंहने बनवाया है । इसके मंडप तीन स्तंभों पर के लेखों से पता चलता है कि वि० सं० १२४८ में सूर्यमंदिर का आरंभ हुआ, और सं० १२५६ में यह बनके तैयार हुआ । इस समय यह जीर्णशीर्ण अवस्था में पडा है और इसमें मूर्त्ति वगैरह कुछ भी नहीं है ।
५ - सूर्य मंदिर से पूर्व में १०० कदम के अन्दाजन केदारनाथ का मंदिर है, जो सुन्दर शिखरवाला है । इसकी बनावट बिलकुल जैन शिल्पकारी की है और इसमें अब भी कतिपय जैनचिह्न दिखाई देते हैं । इसके नीचे के भाग में
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