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( ५३ ) २--कालिकादेवल के सामने बाहर के मैदान में एक पतितावशिष्ट महादेव का देवल है । इसमें स्थापित पार्वती की खंडित मूर्ति की बैठक पर लिखा है कि
संवत् १३३५ वैशाखसुदि १२ सोमे प्र० जगवरसूनुप्रति० महाराणा श्रीउदयसिंह सपत्नी प्रति० सरूजलदेवी, तया कारिता प्रासादपीतांगमूर्तिः । श्रीसाधयता शुभं भवतु।
-सं० १३३५ वै० सु० १२ सोमवार के दिन प्रति० जगवर के पुत्र प्रति० श्रीउदयसिंह महाराणा की दूसरी राणी सरूजलदेवीने यह शंकर का देवल और पार्वती की मूर्ति कराई, श्री को साधन करते हुए, कल्याण कारक हो ।
३-कालिकादेवल से आधा माइल दक्षिण में बामणेरा ( ब्रह्मपुरी) गाँव है। इसमें एक लक्ष्मीनारायण का शिखरवाला मन्दिर है, जो वि० १३ वीं सीकी का बना हुआ है । इसमें काले पाषाण की खडे आकार की दो हाथ वड़ी सांवलाजी की मूर्ति बैठी हुई है और इसीके
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