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(४१ ) मन्दिर की भमती में भंडार कर, उनके स्थान पर दूसरे पार्श्वनाथजी पीछे से स्थापन किये गये हैं । इनके दोनों बगल में शान्तिनाथ और बाह्य मंडप में दूसरी चार प्रतिमाएँ विराजमान हैं, जो सभी नवीन हैं और उन पर प्रायः एक ही किस्म के लेख हैं। उन में से एक प्रतिमा का लेख नीचे मुताबिक है
"संवत १६५५ फाल्गुनवदि५ वांकली वास्तव्य प्रा. वृ० साजसापुत्र धनाभा- गंगा तेन बिंबंकारितं, प्र० कृ० भ० श्रीराजेन्द्रसूरिभिः,प्र० का. जसरूपजीताभ्यां आहोरे सुधर्म वृ० तपगणे ।.'
-आहोरनगर में मूता जसरूप जीता कारित अंजनशलाका महोत्सव में सं०१९५५ फा०व०५ के दिन वांकलीगाँव की रहनेवाली जसा सुत धना पोरवाड की स्त्री गंगाने यह बिंब कराया और सौधर्मबृहत्तपागच्छीय विजयराजेन्द्रसूरिजीने इसकी अंजनशलाका की। १० कोरटा में अन्यमत के प्राचीन स्थान
१--धोलागढ की पहाडी से लगते .
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