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( ३९ ) -देवसूरगच्छीय कोरटागाँव के समस्त महाजनों के श्रेय के लिये श्रीऋषभदेवजी के बिम्ब की प्रतिष्ठा सागरगच्छीय श्रीशान्तिसागरसूरिजीने सं०१९०३ माघसुदि ५ मंगलवार के दिन की।
इसके मूलनायकजी के दोनों तरफ दो दो फट बड़ी आदिनाथ और शान्तिनाथ तथा बाह्य मंडप में तीन फट बड़ी शान्तिनाथ की मूर्तियाँ स्थापित हैं, जो नवीन हैं। ___२ दूसरा सौधशिखरी जिनालय गाँव में उत्तर-पश्चिम कोण में है, यह कब किसने बनाया इसका पता नहीं। परन्तु अनुमान से जान पडता है कि ऊपर वर्णित ऋषभदेव मंदिर से पुराना है। इसकी नवचोकी के बांये तरफ के एक स्तम्भ पर 'ॐनाढा' अक्षर उकेरे हुए हैं। इसका मतलब जान पड़ता है कि-मंत्री नाहड़ के ढाकलजी नामक पुत्रने यह मन्दिर बनवाया हो। यह उस समय कोरटा जैनसंघ में
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