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( ३७ ) कि कोरटा में जब आनन्दचोकला का राज्य था, तब उसके महामात्य नाहडने कालिकादेवल, केदारनाथ का मन्दिर, खेतलादेवल, महादेवदेवल और काँबीवाव; ये पांच स्थान भोग्यभूमि के सहित श्रीमहावीरप्रभु की सेवा में अर्पण कर दिये थे। लेकिन वर्तमान में कांबी वाव के सिवाय दूसरा कोई स्थान महावीरप्रभु के अधिकार में नहीं है।
उपदेशतरंगिणी ग्रन्थ के लेखानुसार महामात्य नाहड का समय सं० १२५२ के आस पास है। अतः उस समय में यहाँ का राजा आनन्दचोकला होगा। उस समय में जैनों की प्रबलता, और जैनेतरों की निर्बलता हो चुकी थी। इसी वजह से निर्बल जैनेतरों के स्थान महावीरप्रभु को समर्पण करना पडे । यहाँ के कतिपय जैनेतर स्थानों के अस्तित्व से अनुमान भी किया जा सकता है कि विक्रम की १३, या १४ वीं शताब्दी तक कोरटा में जैनेतरों
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