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( ३५ ) से जान पडता है कि इस गच्छ में कोरंटतपागच्छ नामकी एक शाखा भी प्रगट हुई थी
और यह गच्छ अपनी शाखा के सहित विक्रम की १७, या १८ वीं शताब्दी तक हयात था । वर्तमान में इस गच्छ का अस्तित्व नहीं जान पडता। ८ एक तांबा-पत्र का पता.. यहाँ के वृद्ध लोगों का कहना है कि संवत् १६०१ के आसपास जब इंगलिया मरेठा मारवाड को लूटने के लिये आया, तब वह कोरटा से एक ताँबा पत्र और एक कालिका की प्राचीन मूर्ति ले गया। परन्तु इस समय यह ताँबा-पत्र अनूपलब्ध (मिलना कठिन) है। यहाँ के निवासी प्रतापजी जैन गृहस्थ के घर के चोपड़ों में इस नगर के विषय में १४ ककार इस प्रकार मिलते हैं कि
१ कणयापुर, २ कनकधर राजा, ३ कनैया कुमर, ४ कनकावती राणी, ५ कनकेश्वर मूता,
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