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(२४) पूर्णिमा तिथौ गुरुवासरे मरुधरायां श्रीराष्ट्र०वंशीय महाराजाधिराज श्रीसरदारसिंहजीराज्ये कोरटाधिपति लाखावत देवडाराज श्रीविजयसिंहवर्तमाने सीयाणा वास्तव्य प्राग्वाटज्ञातीय वृद्धशाखायां श्राद्धपोमाजी, तत्सुतलुंबाजीत्कन श्रीमन्महावीरतीर्थाधिपबिंब कारापितं । प्रतिष्टितं भारत्नसूरीश्वर, तत्पट्टे क्षमासूरि त. देवेन्द्रसूरि त० कल्याणसूरि त० श्रीविजयप्रमोदसूरि त० प्रभावक श्रीविजयराजेन्द्रसूरिमहाराजैः कोरटानगरे लि० मोहनविजयेन, सुधर्मवृ० तपागच्छे ।"
प्रतिष्ठा के समय वाचक श्रीमोहनविजयजी
१ साँबूजा ( मारवाड़ ) में जन्म सं० १९२२ भाद्रवा वदि २ गुरुवार । जाति राजगुरब्राह्मण (पुरोहित ), पिताबदीचंदजी, माता लक्ष्मीदेवी, और गृहस्थपन का नाम मोहनलाल । जावरा ( मालवा ) में लघुदीक्षा सं० १९३३ माह सुदि २ गुरुवार, और कुक्सी (नीसार) में बड़ी दीक्षा सं० १९३६ मगसिर वदि २ । लघु और बड़ी-दीचा तथा शिवगंज ( राजपुताना ) में सं० १६५९ फागुण सुदि २को पन्यास पदवी ये तीनों श्रापको श्रीराजेन्द्रसरिजी से ही मिलीं। राणापुर (झाबुवा) में उपाध्यायपदवी सं० १९६६ पोषसुदि ८ बुधवार, और स्वर्गवास सं० १९७७ पोषसुदि ३ बुधवार कुक्सी (नीमार ) में ।
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